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by
Sep 4, 2000, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 04 Sep 2000 00:00:00

यदि कोई कुर्सी पाएदार हैतो यह जरूरी हैकि वह लोगों से घिरी हो,उस कुर्सी पर बैठने वाले के लिए तोयह निहायत जरूरी हैकि वह उन लोगों को पहचाने।इन लोगों में दो नस्ल के लोग हैं-एक नस्ल चापलूसों की हैदूसरी नस्ल वफादारों की है।हर देश में,हर काल में,वफादार सदा हीअल्पसंख्यक रहे हैं।चापलूसी और वफादारीदो अलग-अलग बातें हैं-यह जरूरी नहीं है किहर वफादार चापलूस हो,और यह तोकतई जरूरी नहीं है किहर चापलूस वफादार हो,आप मानिएया न मानिएलेकिन यह एक सच्चाई है किचापलूसकभी नीम नहीं हो सकता,और वफादारसदा शहद नहीं हो सकता।भाषा के प्रयोग मेंचापलूस कोभाषा की बारीकियांखूब आती हैं,लेकिन वफादारखड़ी बोली बोलता है।चापलूसों से घिरे रहने का अर्थ हैछेदवाली नाव पर सवार होनाछेदवाली नाव पर सवार होने का अर्थ हैनाव का देर-सबेर डूबनाऔर छेदवाली नावकभी किनारे पर नहीं डूबती।अपनों के द्वारा हीजंगल में ले जाकरकत्ल कर दिए गएइतिहास-पुरुषों की सूचियां कहती हैं-इन दो नस्लों के बीचपहचान कीपैदा करोतमीज,आस्तीनों को देखोनहीं तो काटेगीकमीज।द डा. देवेन्द्र दीपक31

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