देहरादून की घाटियों से लेकर देश की राजधानी तक, मैं—अवधेश मिश्र—पत्रकारिता की उस राह का मुसाफिर हूँ जहाँ हर खबर एक ज़िम्मेदारी है, और हर शब्द एक वचन।
पच्चीस वर्षों से अधिक के सफर में मैंने टीवी और प्रिंट मीडिया के हर पड़ाव को अपनी नज़रों से देखा, अनुभव किया और उसके माध्यम से समाज के सामने सच को रखा। NEWS18 उत्तराखंड में स्टेट हेड/ असाइनमेंट एडीटर रहते हुए मैं न केवल ख़बरों की निगरानी करता रहा, बल्कि हर मुश्किल घड़ी में, चाहे वह चुनावी घमासान हो या हिमालयी आपदा, सीधे मैदान में उतरकर रिपोर्टिंग करता रहा।
सहारा टीवी, ETV, ZEE NEWS, जैन टीवी—हर मंच पर मैंने कंटेंट की आत्मा को समझते हुए समाज के उन मुद्दों को उठाया जिन पर अक्सर चुप्पी छाई रहती है। ईटीवी उर्दू के लिए 'हमारे मसाइल', 'गुफ्तगू', और 'कुछ लम्हें फुर्सत के' जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए मैंने केवल बातें नहीं कीं, संवाद रचे।
मेरे लिए पत्रकारिता महज़ सूचना देने का माध्यम नहीं, वह समाज की नब्ज़ है। और इस नब्ज़ को पकड़ने की कला मैंने अपने अनुभव, अध्ययन और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से मिले ज्ञान से सीखी है।
आज भी जब मैं कैमरे के पीछे या कलम के सामने होता हूँ, तो मन में केवल एक विचार होता है—"जो कहूँ, वह सत्य हो। और जो सत्य हो, वह समाज के काम आए।"
यह मेरी यात्रा है, जो एक पत्रकार तक सीमित नहीं, एक ज़िम्मेदार नागरिक की जो संवाद को ही बदलाव का सबसे बड़ा साधन मानता है।
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