ब्रिटेन में अफगान डेटा लीक: पात्रों की जगह अपराधियों को मिल गई शरण, अब उठ रहे सवाल
July 20, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम विश्व

ब्रिटेन में अफगान डेटा लीक: पात्रों की जगह अपराधियों को मिल गई शरण, अब उठ रहे सवाल

अफगानिस्तान से ब्रिटेन शरण योजना में अराजकता: अपराधी पहुंचे, सैन्य अधिकारी छूटे, डेटा लीक ने बढ़ाया संकट।

by सोनाली मिश्रा
Jul 20, 2025, 02:08 pm IST
in विश्व
Britain Afghan Data breach

प्रतीकात्मक तस्वीर

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

वर्ष 2021 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता अधिग्रहण किया था, तो उस समय कई ऐसे भी लोग वहाँ पर थे, जिन्होंने ब्रिटेन और अमेरिका की सहायता की थी। ब्रिटेन द्वारा ऐसे अफगानिस्तानियों के लिए शरण की योजना बनाई गई थी, जिसमें ब्रिटेन की सहायता करने वाले अफगानिस्तानी नागरिकों को ब्रिटेन में शरण दी जानी थी।

और इसी आधार पर हजारों अफगानी नागरिकों को ब्रिटेन में शरण भी दी गई थी। मगर अब एक डेटा लीक के कारण ऐसा लग रहा है कि सब गड़बड़ हो गया है। जो डेटा लीक हुआ है, उसमें कई ऐसे अफगानी नागरिकों के नाम हैं, जो अभी भी अफगानिस्तान में हैं और जो लोग अफगानिस्तान से ब्रिटेन आए हैं, उनमें से कई ऐसे हैं, जिन्होंने कभी ब्रिटेन की मदद की ही नहीं थी।

तालिबानियों के निशाने पर ब्रिटेन से आए लोग

अब जो लोग अफगानिस्तान में रह गए हैं, वे तालिबानियों के निशाने पर आ गए हैं और छिपकर रह रहे हैं। टेलीग्राफ ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट में एक पीड़ित के हवाले से लिखा कि “जिन्हें बचाया गया है, उनमें से केवल 20 प्रतिशत ही वास्तविक पीड़ित लोग हैं, जिन्होंने अफगानिस्तान में ब्रिटिश सेना के साथ काम किया ही नहीं है।“

इसमें लिखा है कि जो पीछे छूट गए हैं, वे कर्नल, कमांडर और डिप्टी कमांडर जैसे लोग हैं, जबकि उनके ड्राइवर, रसोइये, माली, मालिश करने वाले और जूता पॉलिश करने वालों को निकाल लिया गया और वे अब ब्रिटेन में हैं। ऐसा ही दावा कई लोग और कर रहे हैं। आँकड़े बताते हैं कि हजारों की संख्या में वे अफगानी ब्रिटेन में रह रहे हैं, जिनके विषय में यह कहा जा रहा है कि उन्होंने ब्रिटेन की सहायता की थी, मगर दुर्भाग्य से उन्हें अंग्रेजी बोलना ही नहीं आता है।

टेलीग्राफ ने एक पीड़ित और काल्पनिक नाम जमालुद्दीन के हवाले से बताया कि एक ऐसा ड्राइवर जो यूके द्वारा उन्हें दिए गए ग्रेनेड्स और बुलेट्स को चुराकर तालीबानियों को बेच दिया करता था, वह खुद तो ब्रिटेन गया ही है मगर साथ ही वह 150 अपने रिश्तेदारों को लेकर चला गया है। जमाल का कहना है कि वह अच्छा आदमी नहीं है और उसे तब बाहर निकाला गया, जब डेटा लीक वाला हंगामा मचा।

जमालुद्दीन ने कहा कि “ऐसे भी लोग हैं जो अपने साथ 70, 40, 50 परिवार के सदस्यों को ब्रिटेन ले गए: सास, चचेरे भाई-बहन। मैं एक ऐसे व्यक्ति को जानता हूँ जो अपनी बहन के पति के भाई के बेटे के ससुराल वालों को ले गया। यह पूरी तरह से अराजकता है।”

तालिबान से लड़ने वाले लोग अभी भी अफगानिस्तान में ही छिपे

जो लोग ऊंचे रैंक पर थे, वे सैकड़ों लोगों, दोस्तों और रिश्तेदारों को सूची बनाकर ले गए और कई ऐसे भी लोग ब्रिटेन में इस दावे के साथ चले गए हैं, जिन्होंने एक भी कारतूस नहीं दागा था। जमाल के अनुसार एक बेस में एक ऐसा व्यक्ति जो लोगों को चाय दिया करता और या फिर मेंजे साफ किया करता था, वह अभी ब्रिटेन में है, मगर उस बेस का कमांडर अभी अफगानिस्तान में ही कहीं छिपा हुआ है। जो लोग तालिबान के साथ लड़े, वे अभी अफगानिस्तान में ही हैं, मगर खराब पृष्ठभूमि वाले ड्राइवर और क्लीनर सभी ब्रिटेन में पहुँच गए हैं।

2022 में ही लीक हो गया था डेटा

हालांकि डेटा लीक 2022 में हुआ था और जल्दी ही वह तालिबानियों के हाथों में चला गया था। मीडिया को यह एक साल बाद पता चला था, मगर उसके बाद भी बहुत हलचल नहीं हुई। इस डेटा लीक के बाद अफगानिस्तान से लोगों को जल्दी-जल्दी निकाला गया और लगभग 20,000 से अधिक अफगानिस्तानियों को ब्रिटेन में शरण दी गई। इन दिनों यह डेटा लीक इसलिए और चर्चा में है क्योंकि अब पता चल रहा है कि जिन लोगों ने बोगस दावे किये, उन्हें उनके दसियों परिजनों के साथ ब्रिटेन में शरण दे दी गई है, और वह भी उन्हें जिनकी छवि अच्छी नहीं थी। इस डेटा लीक के बाद आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 16,000 अफगानी नागरिकों को यूके में बसाया गया और जबकि अभी 25,000 लोग कतार में है।

इस पर लागत 7 बिलियन यूरो की लागत आने वाली थी, मगर बाद में इसे कम किया गया। सरकार ने अनुमान लगाया कि प्रत्येक पात्र व्यक्ति को पुनर्वास के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा के अतिरिक्त खर्चों के साथ, प्रति वर्ष कम से कम £20,000 की आवश्यकता होगी।

सबसे हैरानी की बात यह है कि इस पूरे बचाव अभियान को पूरी तरह से गुप्त रूप से किया गया। इसके विषय में संसद को भी सूचना नहीं दी गई, और न ही बर्कशायर के ब्रैकनेल और विल्टशायर के लार्कहिल आर्मी कैंप जैसे स्थानों के समुदायों को, जहाँ कई अफ़गानों को ठहराया गया था। औसतन, प्रत्येक प्रमुख आवेदक अपने साथ सात पारिवारिक सदस्य लेकर आया था। कुछ तो इससे भी ज़्यादा लोग लेकर आए।

एक अफगानी नागरिक 22 लोगों को ला सकता है साथ

यूके में आने वाले एक अफगानी नागरिक को 22 लोग साथ लाने की अनुमति दी गई जबकि और जो लोग आए वे किशोर थे। अब ऐसे में लोग प्रश्न उठा रहे हैं कि कोई किशोर कैसे अफगानिस्तान में रहते हुए ब्रिटेन की सेना की सहायता का दावा कर सकता है?

पहले यूके के रक्षामंत्री आने वाले लोगों में केवल जोड़े और उनके बच्चे ही रखना चाहते थे, मगर फिर 2024 में कोर्ट का एक निर्णय आया, जिसमें यह कहा गया कि “कानून या आम प्रचलन में ‘परिवार के सदस्य’ शब्द का कोई निश्चित अर्थ नहीं है। दरअसल, ‘परिवार’ शब्द का अलग-अलग लोगों के लिए और अलग-अलग संदर्भों में अलग-अलग अर्थ हो सकता है। सांस्कृतिक कारण हो सकते हैं… रक्त या कानूनी संबंध की कोई आवश्यकता नहीं है।” और इस निर्णय के बाद अडिश्नल फैमिली मेम्बर्स के नाम पर लोगों को लाया गया।

अपराधी भी पहुंचे ब्रिटेन

टेलीग्राफ ने अफगानिस्तान में अपने सूत्रों के हवाले से बताया कि “डेटा चोरी के बाद पैदा हुई “अराजकता” में, अपराधी, जिनमें ब्रिटिश ठिकानों से चोरी करने वाले और तालिबान को हथियार बेचने वाले जूनियर कर्मचारी भी शामिल थे, बड़ी संख्या में अपने परिवार के सदस्यों के साथ ब्रिटेन आ गए थे, जबकि सेना के साथ काम करने वाले सैन्य अधिकारी अफगानिस्तान में ही छूट गए हैं।

अब इसे लेकर संसद से लेकर आम लोगों में हंगामा है और लोग प्रश्न पूछ रहे हैं कि आखिर सरकार के लिए प्राथमिकता किसकी है?

Topics: data leakअफगानी शरणार्थीअफगानिस्तान डेटा लीकब्रिटेन शरण योजनाब्रिटेन पुनर्वासAfghanistan data leakUK asylum schemeUK resettlementtalibanAfghani refugeesतालिबानडेटा लीक
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Representational Image

महिलाओं पर Taliban के अत्याचार अब बर्दाश्त से बाहर, ICC ने जारी किए वारंट, शीर्ष कमांडर अखुंदजदा पर भी शिकंजा

UK Sainik

अफगानी शरणार्थियों को घर, जॉर्ज फोर्ड जैसे सैनिक बेघर: यूके में विवाद

अफगान सरकार के उप-प्रवक्ता हमदुल्लाह फितरत

Taliban ने जिन्ना के देश का झूठ किया उजागर, फर्जी बयान देने वाले General Munir की हुई फजीहत

16 अरब लॉगिन्स लीक : डिजिटल आतंक का नया अध्याय, वैश्विक निजता पर संकट की दस्तक

Afghan women

शरिया के नाम पर अफगान महिलाओं का दमन: UN Women की ताजा रिपोर्ट

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल

बुरे फंसे जिन्ना के देश के बड़बोले बिलावल, अमेरिका में अमेरिका पर ही मढ़ दिया आतंकवाद को हवा देने का आरोप

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

हरिद्वार कांवड़ यात्रा 2025 : 4 करोड़ शिवभक्त और 8000 करोड़ कारोबार, समझिए Kanwar Yatra का पूरा अर्थचक्र

पुलिस टीम द्वारा गिरफ्तार बदमाश

इस्लामिया ग्राउंड में देर रात मुठभेड़ : ठगी करने वाले मोबिन और कलीम गिरफ्तार, राहगीरों को ब्रेनवॉश कर लुटते थे आरोपी

प्रधानमंत्री मोदी की यूके और मालदीव यात्रा : 23 से 26 जुलाई की इन यात्राओं से मिलेगी रणनीतिक मजबूती

‘ऑपरेशन सिंदूर’ समेत सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार सरकार : सर्वदलीय बैठक 2025 में रिजिजू

मौलाना छांगुर का सहयोगी राजेश गिरफ्तार : CJM कोर्ट में रहकर करता था मदद, महाराष्ट्र प्रोजेक्ट में हिस्सेदार थी पत्नी

पंजाब : पाकिस्तानी घुसपैठिया गिरफ्तार, BSF ने फिरोजपुर में दबोचा

अब मलेरिया की खैर नहीं! : ICMR ने तैयार किया ‘EdFalciVax’ स्वदेशी टीका, जल्द शुरू होगा निर्माण

Britain Afghan Data breach

ब्रिटेन में अफगान डेटा लीक: पात्रों की जगह अपराधियों को मिल गई शरण, अब उठ रहे सवाल

Love Jihad Islamic conversion Sehore

आगरा में सगी बहनों के इस्लामिक कन्वर्जन: विदेशी फंडिंग का भी खुलासा

Bangladesh Islamist organise a rally jihadi

‘जिहाद चाहिए, मिलिटेंट हैं हम’, बांग्लादेश में जुमे की नमाज के बाद कट्टरपंथियों ने लगाए मजहबी नारे

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies