कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने हाल ही में अपनी पार्टी के प्रति निष्ठा पर उठे सवालों का जवाब देते हुए एक बार फिर साबित किया कि उनके लिए देश हमेशा पहले आता है। कोच्चि में एक निजी कार्यक्रम में एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के शब्दों को दोहराया, “अगर भारत मर गया, तो कौन बचेगा?” यह बयान न केवल उनकी सोच को दर्शाता है, बल्कि राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि मानने की उनकी प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है।
ऑपरेशन सिंदूर और थरूर की भूमिका
ऑपरेशन सिंदूर, जिसे हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने अंजाम दिया, ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को दुनिया के सामने रखा। इस ऑपरेशन के बाद भारत ने अपनी स्थिति को वैश्विक मंच पर स्पष्ट करने के लिए सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजे। शशि थरूर ने इनमें से एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया, जो अमेरिका, पनामा, गुयाना, कोलंबिया और ब्राजील जैसे देशों में गया। थरूर ने इन देशों में भारत की आतंकवाद के खिलाफ मजबूत नीति और ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। उनकी वाकपटुता और स्पष्टता ने न केवल भारत की बात को मजबूती से रखा, बल्कि वैश्विक समुदाय में भारत की एकजुटता का संदेश भी दिया।
इसे भी पढ़ें: ‘कोचिंग सेंटर का न हो बाजारीकरण, गुरुकुल प्रणाली में करें विश्वास’, उपराष्ट्रपति ने युवाओं से की खास अपील
राष्ट्रीय हित बनाम पार्टी लाइन
थरूर का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर सभी दलों को एकजुट होकर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, “मैं अपनी पार्टी का सम्मान करता हूँ, लेकिन मेरे लिए भारत पहले है।” कोच्चि में अपने भाषण में उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टियाँ देश को बेहतर बनाने का एक माध्यम मात्र हैं, और हर पार्टी का अंतिम लक्ष्य एक बेहतर भारत का निर्माण होना चाहिए। थरूर ने यह भी जोड़ा कि चाहे कोई पूंजीवाद की वकालत करे या समाजवाद की, सभी को एक सुरक्षित और समृद्ध भारत के लिए काम करना चाहिए। उनके इस बयान ने सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा बटोरी, जहाँ कुछ लोग उनकी देशभक्ति की तारीफ कर रहे हैं, तो कुछ ने इसे पार्टी के प्रति बगावत के रूप में देखा।
कांग्रेस के भीतर विवाद और थरूर का जवाब
थरूर के इस रुख ने कांग्रेस के भीतर कुछ नेताओं को असहज किया। खासकर, जब उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के लिए मोदी सरकार की तारीफ की, तो पार्टी के कुछ नेताओं ने इसे कांग्रेस की आधिकारिक लाइन के खिलाफ माना। उदित राज जैसे नेताओं ने उन्हें “बीजेपी का सुपर प्रवक्ता” तक कह डाला। लेकिन थरूर ने इन आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा कि राष्ट्रीय हित में काम करना किसी पार्टी के खिलाफ नहीं है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिक निष्ठा देश के प्रति है, न कि किसी पार्टी विशेष के प्रति। कोच्चि में एक भावुक भाषण में उन्होंने कहा कि वह सेना और सरकार के हाल के कदमों का समर्थन करते हैं, क्योंकि यह देश के लिए सही है।
थरूर का वैश्विक मंच पर प्रभाव
थरूर ने अपने प्रतिनिधिमंडल के दौरे के दौरान खासकर अमेरिका में भारत की बात को बड़े ही प्रभावी ढंग से रखा। वाशिंगटन डीसी में उनकी ब्रीफिंग को सराहा गया, जहाँ उन्होंने पाकिस्तानी प्रतिनिधियों की मौजूदगी में भी भारत की चिंताओं को बेबाकी से उठाया। उनकी यह क्षमता कि वह जटिल मुद्दों को सरल और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर सकते हैं, भारत के लिए एक बड़ी ताकत साबित हुई। थरूर का मानना है कि ऐसी कूटनीतिक पहल देश की एकता और ताकत को दर्शाती हैं, और यह समय है कि सभी दल मतभेद भुलाकर राष्ट्र के लिए एकजुट हों।
टिप्पणियाँ