चमोली: विश्व की सबसे बड़ी पैदल यात्रा नंदा देवी राजजात यात्रा है, जो लगभग 280 किलोमीटर लंबी है और 22 से 23 दिन में पूरी की जाती है। यह पवित्र यात्रा हर 12 साल में एक बार आयोजित की जाती है। यह यात्रा उत्तराखंड के चमोली जिले के नौटी गाँव से शुरू होकर होमकुंड तक जाती है, जो कि माँ नंदा देवी के पवित्र स्थलों में से एक है और फिर नौटी गांव में समाप्त होती है।
केंद्र से मांगी आर्थिक मदद
अगले साल ये यात्रा होनी है जिसके लिए धामी सरकार ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री मोदी से मिलकर इस यात्रा के बारे में जानकारी साझा कर उनसे यात्रा उत्सव के लिए आर्थिक सहायता मांगी है। इस यात्रा में सम्मिलित होने वाली नंदा की नेपाल, कुमाऊ और गढ़वाल की पवित्र छतोलिया चमोली जिले के नंदकेशरी में एक साथ कारवाँ बनाकर हिमालय की आराध्य गौरा/नंदा को विदा करने शिव के निवास त्रिशूल के लिए एक साथ प्रस्थान करती हैं। इस ऐतिहासिक और धार्मिक यात्रा का प्रतिनिधित्व चार सींग वाला खाड़ू करता है, जिसे गौरा का प्रतिनिधि माने जाने की परंपरा हिमालयी समुदायों में है।
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इस यात्रा में श्रद्धालु विभिन्न पड़ावों नौटी (प्रारंभिक बिंदु) ईड़ा बधाणी, कांसुवा, सेम, कोटी, भगोती, कुलसारी, नंदकेशरी, फल्दिया गांव, मुंदोली, वाण, गैरोली पातल, वेदनी बुग्याल, पातर नौचौणियां, भागवाबासा, शिला विनायक, रूपकुंड, शिला समुद्र होते हुए अंतिम पड़ाव होमकुंड में गौरा को उनके ससुराल छोड़ते हुए गौरा के मायके वाले एव श्रद्धालु वापस लाटा खोपड़ी, सिथोल गाँव के बाद घाट होते हुए नौटी पहुचते हैं।
प्रकृति प्रेमियों के लिए विशेष अनुभव
यह यात्रा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह प्रकृति प्रेमियों, ट्रैकिंग के शौकीनों और इतिहासकारों के लिए भी एक विशेष अनुभव प्रदान करती है। यह यात्रा एक जीवित परंपरा है, जो पर्वतों के साथ संवाद करती है, लोकगीतों में बहती है, और हर बार हजारों श्रद्धालुओं की आँखों में माँ की विदाई के आँसू बनकर उतरती है।
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