छत्रपति शिवाजी महाराज के 12 किले यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल

छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा स्थापित या पुनर्निर्मित 12 किलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता मिली है।

इनमें 11 किले महाराष्ट्र में, जबकि एक तमिलनाडु में स्थित है। ये दुर्ग मराठा वास्तुकला, सैन्य रणनीति, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण के अद्वितीय उदाहरण हैं।

रायगढ़: शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक यहीं 1674 में हुआ था। यह उनकी राजधानी भी थी।

राजगढ़ किला: मराठा साम्राज्य की पहली राजधानी।

तोरणा किला: शिवाजी द्वारा जीता गया पहला किला है, जिसे "प्रचंडगढ़" के नाम से भी जाना जाता है, इसकी ऊंचाई और विस्तार प्रशंसनीय है।

सिंहगढ़ किला: पुणे से 35 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है, इस किले पर ‘गढ़ आला पण सिंह गेला’ कहावत अमर है।

पुरंदर किला: शिवाजी के पुत्र संभाजी का जन्म यहीं हुआ था। यह किला सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। पुरंदर संधि (1665) यहीं पर हुई थी।

लोणावला का लोहगढ़: शिवाजी के रणनीतिक खजाने का भंडारगृह है, विंचुकटा (बिच्छू डंक जैसा पर्वतशिखर) इसकी पहचान है।

हरिश्चंद्रगढ़: प्राचीन काल से जुड़ा, शिवाजी के काल में इसका उपयोग बढ़ा।

साल्हेर किला: मराठों ने 1672 में सलहेर के युद्ध में मुगलों को हराया, महाराष्ट्र का सबसे ऊंचा किला (1,567 मीटर), भव्यता और दृश्य सौंदर्य।

पद्मदुर्ग: जंजीरा के नवाबों को टक्कर देने हेतु शिवाजी द्वारा बनवाया गया था।

विजयदुर्ग किला: पश्चिमी तट की सुरक्षा हेतु शिवाजी ने इसका विस्तार किया।

सिंधुदुर्ग किला: शिवाजी द्वारा 1664 में बनवाया गया सबसे मजबूत जलदुर्ग।

जिंजी किला: दक्षिण भारत में शिवाजी का प्रमुख सामरिक केंद्र।