सावन माह की शुरुआत 11 जुलाई से होने वाली है और इस दिन से कांवड़ यात्रा का भी आरंभ हो जाएगा।
सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय महीना होता है और इस दौरान शिवभक्त अपने श्रद्धा और आस्था के साथ कांवड़ यात्रा पर जाते हैं।
सावन माह में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।
लेकिन क्या आप लोग जानते हैं कि कांवड़ यात्रा कितने प्रकार की होती है, आइए जानते हैं।
सामान्य कांवड़ यात्रा जिसमें भक्त आराम से यात्रा करते हैं और बीच-बीच में आराम करते हैं। इस यात्रा में कांवड़ को जमीन पर नहीं रखा जाता है।
डाक कांवड़ यात्रा में भक्त बिना रुके यात्रा करते हैं, इस यात्रा में एक बार जल लेने के बाद, भक्त चलते रहते हैं और न रुकते हुए शिवलिंग तक जल अर्पित करने जाते हैं।
खड़ी कांवड़ यात्रा में भक्त खड़ी कांवड़ लेकर चलते हैं। इस यात्रा में एक सहायक व्यक्ति भी भक्त के साथ होता है, जो कांवड़ को सहयोग करता है।
दांडी कांवड़ यात्रा सबसे कठिन मानी जाती है। इसमें भक्त दंड बैठक करते हुए यात्रा करते हैं। यह यात्रा समय लेने वाली होती है।