30,000 बांग्लादेशी गायब
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत असम

गायब हुए 30,000 बांग्लादेशी

असम सरकार बड़े पैमाने पर अभियान चलाकर राज्य से अवैध घुसपैठियों को बाहर निकाल रही है। जो छिप गए हैं उनकी तलाश की जा रही

by दिब्य कमल बोरदोलोई
Jun 26, 2025, 07:47 am IST
in असम, विश्लेषण
पुलिस द्वारा पकड़े गए अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए ( फाइल फोटो )

पुलिस द्वारा पकड़े गए अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए ( फाइल फोटो )

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

असम में अवैध रूप से घुसपैठ कर रह रहे करीब 30,000 बांग्लादेशी अचानक गायब हो गए हैं। ये वही लोग हैं जिन्हें विदेशी न्यायाधिकरणों द्वारा विदेशी घोषित किया जा चुका है। राज्य सरकार का कहना है कि ये लोग निर्वासन के डर से अलग-अलग स्थानों पर जाकर छिप गए हैं। अब असम सरकार ने इन्हें पकड़ने के लिए राज्यव्यापी अभियान छेड़ दिया है।

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बताया, एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) अपडेट प्रक्रिया के दौरान अस्थाई रूप से घुसपैठियों की पहचान रोक दी गई थी। इसी बीच जिनकी पहचान विदेशी के तौर पर हुई थी, उनमें से हजारों फरार हो गए। ये सभी वही लोग हैं जिन्हें न्यायाधिकरण ने विदेशी घोषित कर दिया था, लेकिन उन्होंने उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में कोई अपील नहीं की। ऐसे लोग अब भारत में रहने का अधिकार खो चुके हैं। राज्य से अवैध विदेशियों की पहचान करके उन्हें बाहर निकालने के लिए अप्रवासी अधिनियम 1950 को सख्ती से लागू किया जाएगा। बता दें कि यह कानून जिला अधिकारी को आदेश देता है कि वे अवैध विदेशियों को अवैध घोषित करें और उनको देश से बाहर निकालें।

अभियान में तेजी

बीते हफ्तों में राज्य सरकार की तरफ से इस दिशा में गंभीर और निर्णायक कदम उठाए गए हैं। राज्य भर में जिला प्रशासन, पुलिस और सीमा सुरक्षा बल के सहयोग से एक समन्वित अभियान चलाया जा रहा है। विशेष रूप से धुबरी, गोलपाड़ा, करीमगंज, बरपेटा, मोरीगांव, बोंगाईगांव, और नगांव जिलों में निगरानी बढ़ा दी गई है। इस बीच, सिलचर के पास मेघालय सीमा क्षेत्र में 35 बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा गया था। सभी को पूछताछ के बाद तत्काल बांग्लादेश भेज दिया गया। हाल ही में मटिया के विदेशी हिरासत शिविर में बंद 102 रोहिंग्याओं को भी बांग्लादेश निर्वासित किया गया। इसेे अब तक की सबसे बड़ी निर्वासन कार्रवाई माना जा रहा है।

दो श्रेणियों में किया वर्गीकृत

अवैध अप्रवासियों को दो श्रेणियों में बांटा गया है। पहली, वे जो हाल ही में भारत में घुसे हैं। दूसरी, वे जिन्हें न्यायाधिकरण ने पहले ही विदेशी घोषित कर दिया है। मुख्यमंत्री का कहना है, ‘‘उन विदेशी घोषित लोगों ने यदि न्यायिक अपील नहीं की है तो उन्हें तुरंत देश से बाहर किया जाना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने भी फरवरी 2024 में इसी आशय का आदेश दिया है।’’

उच्च न्यायालय ने मांगी जानकारी

गत 30 मई को गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने असम सरकार से दो भाइयों, अबू बकर सिद्दीक और अकबर अली का पता बताने को कहा। दोनों को 2017 में विदेशी घोषित किया गया था और वे 2020 से सशर्त जमानत पर थे। उनके परिवार का दावा है कि 24 मई को पुलिस दोनों को उठा ले गई और उसके बाद से उनका कोई अता-पता नहीं है। भतीजे तोराप अली ने याचिका में आशंका जताई कि उन्हें गुपचुप बांग्लादेश भेज दिया गया है।

न्यायपालिका के आदेश का पालन

सरमा सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन मामलों में न्यायिक अपील लंबित है या जहां उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय ने स्थगन आदेश दिया है, वहां निर्वासन की कार्रवाई नहीं की जाएगी। राज्य सरकार न्यायपालिका का पूरा सम्मान करते हुए केवल उन्हीं पर कार्रवाई कर रही है जिन्होंने न तो कोई अपील की है और न ही उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगी है।

2 जून को सर्वोच्च न्यायालय ने अवैध बांग्लादेशियों के निर्वासन को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ‘ऑल बीटीसी माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएमएसयू)’ को गुवाहाटी हाईकोर्ट जाने को कहा गया। इससे पहले 4 फरवरी को न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने असम सरकार से 63 घोषित विदेशियों को देश से निष्कासित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार ने तब जवाब में कहा था कि वह बांग्लादेशी नागरिकता की पुष्टि
की प्रतीक्षा कर रही है। बाद में इसकी पुष्टि हो गई कि वे सभी बांग्लादेशी हैं।

असम में घुसपैठ का मसला केवल राज्य का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और जनसंख्या संतुलन से जुड़ा मामला है यदि एक राज्य में इस पर कठोर कदम उठाए जाते हैं, तो उसका असर अन्य सीमावर्ती राज्यों-जैसे पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और मेघालय पर भी पड़ेगा। केंद्र सरकार की ओर से भी संकेत मिले हैं कि यदि असम का मॉडल सफल रहता है तो इसे अन्य राज्यों में भी अपनाया जा सकता है। फिलहाल, राज्य सरकार के इस अभियान के आने वाले महीनों में और तेज़ होने की संभावना है। अधिकारियों का मानना है कि छिपे हुए अवैध बांग्लादेशियों की तलाश में तकनीकी सहायता, जैसे-चेहरे पहचानने के तंत्र, ड्रोन्स और डेटा एनालिटिक्स का भी उपयोग किया जाएगा 

लंबे समय से लंबित मांग

असम में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान और निर्वासन की मांग कोई नई नहीं है। 1979 से 1985 तक चले असम आंदोलन का मूल बिंदु यही था। इसके बाद 1985 में ‘असम समझौते’ पर हस्ताक्षर हुए, जिसके अनुसार 24 मार्च 1971 के बाद असम में आए विदेशी अवैध माने जाएंगे।

तब से यह मुद्दा लगातार उठा है, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव और न्यायिक प्रक्रियाओं की जटिलता के कारण अमल में कठिनाई रही है। अब जब राज्य सरकार ने तेजी दिखाई है तो विरोध के स्वर भी मुखर हो गए हैं। कांग्रेस, एआईयूडीएफ और अल्पसंख्यक छात्र संगठनों-जैसे एएएमएसयू और एबीएमएसयू-ने राज्य सरकार के इस कदम का विरोध किया है। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी की है। सिब्बल ने यह तर्क दिया कि यह मानवीय अधिकारों का उल्लंघन है और बांग्लादेश भेजे जा रहे लोगों को पर्याप्त कानूनी सहायता नहीं मिल रही।

मानवतावाद की आड़

सरकार की कार्रवाई के विरुद्ध तथाकथित मानवाधिकार संगठन और वामपंथी समूह भी सामने आ गए हैं। इन संगठनों का तर्क है कि निर्वासन अमानवीय है। लेकिन सरकार की दलील है कि यह राष्ट्र की संप्रभुता और सुरक्षा से जुड़ा विषय है। ‘‘घुसपैठियों के कारण राज्य के संसाधनों पर दबाव है, स्थानीय बेरोजगारी और अपराध दर में वृद्धि हुई है।’’राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ‘‘यह मात्र कानून का पालन है, न कि किसी विशेष समुदाय के खिलाफ कार्रवाई। जिन लोगों को न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित किया गया है और जिन्होंने कोई कानूनी अपील नहीं की है, उन्हें देश में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती।’’

अब आगे क्या?

असम में घुसपैठ का मसला केवल राज्य का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और जनसंख्या संतुलन से जुड़ा मामला है यदि एक राज्य में इस पर कठोर कदम उठाए जाते हैं, तो उसका असर अन्य सीमावर्ती राज्यों-जैसे पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और मेघालय पर भी पड़ेगा। केंद्र सरकार की ओर से भी संकेत मिले हैं कि यदि असम का मॉडल सफल रहता है तो इसे अन्य राज्यों में भी अपनाया जा सकता है। फिलहाल, राज्य सरकार के इस अभियान के आने वाले महीनों में और तेज़ होने की संभावना है। अधिकारियों का मानना है कि छिपे हुए अवैध बांग्लादेशियों की तलाश में तकनीकी सहायता, जैसे-चेहरे पहचानने के तंत्र, ड्रोन्स और डेटा एनालिटिक्स का भी उपयोग किया जाएगा

Topics: असम समझौतेवामपंथी समूहअवैध बांग्लादेशियों की तलाशबांग्लादेशीमुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमान्यायपालिकापाञ्चजन्य विशेषमानवाधिकार संगठन
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : शाैर्य के जीवंत प्रतीक

देश के वे गांव जहां बोलचाल की भाषा है संस्कृत

देश के वे गांव, जहां बोली जाती है संस्कृत, बच्चे भी लेते हैं योग और वेदों की शिक्षा

शिवाजी द्वारा निर्मित 12 किले यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल, मराठा सामर्थ्य को सम्मान

महाराणा प्रताप और इस्लामिक आक्रांता अकबर

महान प्रताप हैं, अकबर नहीं : इस्लामी आक्रांता को लेकर जानिये कैसे फैलाया गया झूठ

रा.स्व.संघ की सतत वृद्धि के पीछे इसके विचार का बल, कार्यक्रमों की प्रभावोत्पादकता और तपोनिष्ठ कार्यकर्ताओं का परिश्रम है

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ @100 : विचार, कार्यक्रम और कार्यकर्ता-संगम

कृषि : देश की अर्थव्यवस्था में तो समृद्धि के लिए ‘क्रांति’ नहीं, शांति से सोचिए

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पंच परिवर्तन : जानिए ‘स्व बोध’ क्यों जरूरी..?

महान फिल्मकार सत्यजीत रे (बाएं) का पैतृक निवास

भारत की कूटनीति ने फिर मारी बाजी, अब नहीं टूटेगा Satyajit Ray का पैतृक घर, सरकार कमेटी बनाकर करेगी घर का पुन​र्निर्माण

55 years old peer mohammad raped 9 year old girl

मोहम्मद आरिफ ने 4 साल की मासूम से किया दुष्कर्म, पुलिस ने किया गिरफ्तार

Islamic conversion of hindu girl in pakistan

पाकिस्तान: हिंदू लड़कियों पर अत्याचार, शनीला का अपहरण, कमला का जबरन इस्लामिक कन्वर्जन

Maulana Chhangur Conversion racket

Maulana Chhangur के खिलाफ फतवा: मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने की सामाजिक बहिष्कार की अपील

ED Summons Google Meta online gambling

मनी लॉन्ड्रिंग और हवाला: गूगल, मेटा को ईडी का समन, 21 जुलाई को पूछताछ

टीआरएफ की गतिविधियां लश्कर से जुड़ी रही हैं  (File Photo)

America द्वारा आतंकवादी गुट TRF के मुंह पर कालिख पोतना रास नहीं आ रहा जिन्ना के देश को, फिर कर रहा जिहादी का बचाव

डिजिटल अरेस्ट में पहली बार कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक फैसला, 9 को उम्रकैद की सजा

Managal pandey

स्व के शंखनाद और पूर्णाहुति के पुरोधा : कालजयी महारथी मंगल पांडे

RSS Chief mohan ji Bhagwat

महिला सक्षमीकरण से ही राष्ट्र की उन्नति- RSS प्रमुख डॉ. मोहन भागवत जी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies