प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में “अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट” का उद्घाटन किया, जो पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता को बचाने और रेगिस्तान के बढ़ते प्रभाव को रोकने की दिशा में एक बेहद महत्वाकांक्षी योजना है। यह परियोजना हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली के अरावली पर्वतमाला क्षेत्रों में लागू की जा रही है। आइए जानें कि यह परियोजना क्या है, इसके उद्देश्य क्या हैं और इससे देश को कैसे लाभ होगा।
अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट एक महत्वाकांक्षी पर्यावरणीय योजना है, जिसका उद्देश्य है अरावली पर्वतमाला के साथ 5 किलोमीटर चौड़ी और 1,400 किलोमीटर लंबी हरित पट्टी (ग्रीन बेल्ट) तैयार करना। यह ग्रीन वॉल गुजरात से लेकर दिल्ली-हरियाणा-राजस्थान तक फैलेगी। इसका मुख्य उद्देश्य मरुस्थलीकरण को रोकना, पर्यावरण संतुलन बनाए रखना और जैव विविधता को संरक्षित करना है। अरावली पर्वत श्रृंखला भारत की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है, लेकिन अवैध खनन, अतिक्रमण और पेड़ों की कटाई के कारण इसका पर्यावरण संतुलन खतरे में है। हर साल राजस्थान की तरफ से रेगिस्तान (थार) का विस्तार हरियाणा और दिल्ली की तरफ बढ़ रहा है। जल संकट और बंजर होती जमीन को रोकने के लिए भी ग्रीन बेल्ट आवश्यक है।
अरावली पहाड़ियों की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। यहां अवैध खनन, शहरीकरण और वनों की कटाई के कारण हर साल हरियाली घटती जा रही है। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण और गर्मी का स्तर बढ़ता जा रहा है, जो जन-स्वास्थ्य के लिए खतरा बन चुका है। जल संकट गहराता जा रहा है, और हरियाली के जरिए वर्षा जल को संरक्षित करने की आवश्यकता है। जिन क्षेत्रों में हरियाली खत्म हो चुकी है या मिट्टी बंजर हो गई है, वहाँ दोबारा पेड़-पौधे लगाए जाएंगे। अरावली श्रृंखला थार के रेगिस्तान को उत्तर भारत की ओर फैलने से रोकने में मदद करती है। ग्रीन वॉल इसे और मजबूती देगी। दिल्ली-NCR जैसे अत्यधिक प्रदूषित इलाकों में हरियाली बढ़ाकर वायु प्रदूषण को कम करना। वन्य प्राणियों के लिए सुरक्षित और निरंतर रहने योग्य प्राकृतिक गलियारे तैयार करना। इस प्रोजेक्ट के तहत स्थानीय प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे ताकि पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बना रहे। स्थानीय ग्रामीण समुदायों को भी इस कार्य में जोड़ा जाएगा जिससे रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे।
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