रुद्रप्रयाग: केदारनाथ पैदल मार्ग पर चलने वाले घोड़े खच्चरों के संचालन के लिए दिए जा रहे लाइसेंस बेशक स्थानीय लोगों के लिए जारी किए जा रहे हैं, लेकिन दूसरा सच ये है कि इनके पास उतनी संख्या में जानवर नहीं है।
जानकारी के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में केदारनाथ यात्रा मार्ग पर चलने वाले घोड़े खच्चर वाले, हेलीकॉप्टर सेवा स्थगित होने पर मनमाना किराया वसूलते हैं, जबकि इनके रेट प्रशासन द्वारा तय किए हुए होते हैं। इन्हीं के बीच चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि पहले स्थानीय लोग अपने लाइसेंस बनवाते थे और फिर घोड़ा खच्चर खरीद कर लाते थे और स्थानीय युवकों को मजदूरी पर लगा कर यात्रा पर उनका संचालन किया करते थे।
लेकिन, अब बिजनौर, धामपुर नजीबाबाद, नगीना आदि कस्बों के गैर हिन्दू घोड़ा व्यापारी अपने घोड़े बेचने की बजाय, केदारघाटी के लाइसेंस धारक संचालकों से पार्टनरशिप की शर्त पर ही उन्हें उपलब्ध करा रहे हैं। इसका असर ये हो रहा है अपने सनातनी तीर्थ स्थलों पर गैर हिन्दू घोड़ा खच्चर चलाने वाले लोगों की आवाजाही एकाएक बढ़ गई है। ये संख्या दस बीस नहीं बल्कि छह हजार से अधिक तक जा पहुंची है।
केदारनाथ यात्रा मार्ग पर 9 हजार से अधिक घोड़े खच्चरों के लाइसेंस जिला प्रशासन द्वारा दिए जाते हैं, जिनसे करीब 125 करोड़ का कारोबार होता है। करीब साढ़े पांच लाख तीर्थ यात्रियों इन पशुओं के सहारे केदारनाथ यात्रा मार्ग तय करते हैं।
गैर हिंदुओं द्वारा बनाई गई पार्टनरशिप व्यवस्था से स्थानीय लाइसेंस धारक को पार्टनरशिप का पैसा मिल जाता है और उसे ऑफ सीजन में जानवर की देखभाल भी नहीं करनी पड़ती है।
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उनके लिए ये फायदा का सौदा जरूर हो सकता है, किंतु इसका दुष्परिणाम ये हो रहा है कि दुनिया के सबसे बड़े आस्था के सनातन तीर्थ बाबा केदारनाथ में गैर हिंदुओं का बड़ी संख्या में प्रवेश हो गया है। ये गैर हिन्दू लोग मांस का सेवन करते हैं और जहां भी डेरा डालते है वहीं उसे पका लेते हैं। इस विषय पर स्थानीय हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा पिछले साल जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर विरोध जताया था, डीएम द्वारा इसपर जांच पड़ताल करते हुए कुछ घोड़ा संचालकों का भुगतान भी रोका था।
लेकिन इस साल यात्रा शुरू होने से पहले ही संचालकों द्वारा पुनः गैर हिन्दू घोड़ा खच्चर मालिकों के साथ पार्टनरशिप के करार होने शुरू हो गए हैं।
गौरीकुंड में गंदगी प्रदूषण
जानकारी के मुताबिक, केदारनाथ पूरे यात्रा मार्ग पर लीद मूत्र की गंदगी देखी जा सकती है। यात्रा मार्ग पर गौरी कुंड के पास घोड़ा संचालकों द्वारा पार्किंग स्टैंड बना दिए जाने की वजह से जानवरों का मलमूत्र गौरी कुंड के रास्ते मंदाकिनी में जा रहा है। इस गंदगी की शिकायत मुख्यमंत्री हेल्प लाइन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में भी की गई है।
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