भारत में लोकसभा चुनावों को लेकर नए-नए विषयों पर चुनाव प्रचार जारी है। इसी क्रम में तमिलनाडु में कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को सौंपे जाने पर विवाद चल रहा है। हर बात पर पारदर्शिता की दुहाई देने वाली कांग्रेस यह नहीं चाहती कि उसके द्वारा किए गए समझौते देश की जनता के सामने आएं। देश की जनता के सामने वे लोग यह नहीं बताना चाहते हैं कि आखिर यह द्वीप क्यों और कैसे दूसरे देश को सौंप दिया गया।
अब इसी क्रम में कांग्रेस के नेता कार्ति चिदम्बरम ने यह कहा कि भारतीय जनता पार्टी की आदत है ऐतिहासिक युद्ध लड़ने की। पहले वह बाबर के साथ लड़े, फिर औरंगजेब और फिर वे ईस्ट इण्डिया कम्पनी की ओर जाएंगे और फिर पंडित जवाहर लाल नेहरू को नकारेंगे। उनकी आदत है कांग्रेस के साथ लगातार संघर्ष की। कच्चातिवु का मामला दो देशों के बीच 50 साल पहले ही तय हो गया है।
#WATCH | Sivaganga, Tamil Nadu: On the Katchatheevu issue, Congress MP Karti Chidambaram says, "The BJP has a very unproductive habit of fighting historical battles. Their first grouse is against Babur. Their next quibble is against Aurangzeb. Then they will have a problem with… pic.twitter.com/BgCp8E1viA
— ANI (@ANI) April 1, 2024
कांग्रेस नेता बाबर और औरंगजेब की क्यों बात करते हैं? मुग़ल आक्रान्ता बाबर के विषय में तो किसी को कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि बाबर ने तो बाबरनामा में खुद ही लगभग सारी बातें स्वीकार की थीं। बाबर ने अपना जीवन वृत्तांत बाबरनामा के नाम से लिखा था।
बाबरनामा में हिन्दुओं के सिरों की मीनारों का उल्लेख है तो वहीं यह भी उल्लेख है कि कैसे बाबर ने उन पठानों के भी सिर काट लिए थे, जो अपनी जान बचाने की गुहार लेकर मुंह में घास लेकर गए थे। यह एक संकेत था कि वह यह कह रहे हैं कि वह उनकी गाय है, तो क्षमा कर दिया जाए!
ANNETTE SUSANNAH BEVERIDGE द्वारा अनूदित The Babur-nama in English, संस्करण 1 में पृष्ठ २३२ में बाबर के माध्यम से काबुल पर चढ़ाई के विषय में लिखा है। बाबर लिखता है कि यहाँ उसने यह प्रथा देखी। अफगान विरोध नहीं कर सके। हमारे पास अपने दांतों के बीच घास दबाकर लाए। हमारे आदमियों ने जिन लोगों को कैदी बनाया था, उन सभी के सिर काटने का हुकुम दिया गया और उनके सिरों की मीनार बनाई गयी।
इसमें टिप्पणी में लिखा है कि यदि बाबर के स्थान पर कोई हिन्दू राजा होता तो उन्हें छोड़ दिया जाता!
इसके साथ ही बाबर ने गाजी का खिताब खानवा के युद्ध के बाद लिया था, जिसमें हजारों हिन्दुओं को उसने मरवाया था। इतना ही नहीं उसने हुकुम दिया था कि जिस पहाड़ के नीचे लड़ाई हुई थी, उसके ऊपर हिन्दुओं के सिरों की एक मीनार बनाई जाए। और ऐसा नहीं था कि हिन्दुओं के सिरों की एक ही मीनार थी। इस युद्ध के बारे में तो चर्चाएं होती हैं क्योंकि यह मुख्य युद्ध था, मगर इसके साथ ही चंदेरी का दुर्ग जीतना बाबर का सबसे बड़ा सपना था, क्योंकि उसे ही उसने दारुल-ए-हर्ब का नाम दिया था।
इसके साथ ही बाबर ने चंदेरी के दुर्ग को दारुल-ए-हर्ब कहा था और जब उसने चंदेरी के दुर्ग को जीता था तो उसे फतह-ए-दारुल-ए-हर्ब कहा था। उसने चंदेरी के दुर्ग को जीतने के बाद हिन्दुओं के कटे सिर की मीनार बनाई थी। उसने लिखा कि “अल्लाह के करम से, इस दुर्ग को 2 या 3 घड़ी में ही जीत लिया गया, जिसमें बहुत अधिक संघर्ष नहीं करना पड़ा था। और फिर चंदेरी के उत्तर-पश्चिम में हिन्दुओं के सिरों की मीनार बनाने का आदेश दिया।”
यह बाबर के कुकृत्यों में से एक है। और सबसे बड़ा कुकृत्य था मंदिरों को तोड़ना। कई इमारतों को तोड़े जाने का उल्लेख बाबरनामा में प्राप्त होता है। बाबर के बाद कार्ति चिदम्बरम जी, औरंगजेब के विषय में तो गुरु तेगबहादुर जी का इतिहास ही पर्याप्त है बताने के लिए कि कैसे उनका सिर काट दिया गया था और वह भी इसलिए क्योंकि उन्होंने इस्लाम स्वीकारने से इंकार दिया था। गुरु तेगबहादुर जी के शिष्यों मत्तीदास को जिंदा आरी से काटा गया। भाई सत्तीदास को रुई में लपेटकर जला दिया गया। भाई दयाला सिंह को पानी में उबालकर मारा गया।
ये तो गैर थे, मगर उसने अपने तीनों भाइयों को मारा था। जिस दारा शिकोह से उसके अब्बा शाहजहां सबसे ज्यादा प्यार करते थे और जो दारा शिकोह भारतीय मूल्यों को साथ लेकर चलता था, उसका सिर काटकर शाहजहां के पास भेजा था, जिन्हें उसने कैद कर लिया था।
इतना ही नहीं, यह कहा जाता है कि शाहजहाँ की मौत औरंगजेब की कैद में हुई थी, मगर यह नहीं बताया जाता कि आखिर शाहजहाँ की मौत कैसे हुई थी? शिवाजी, द ग्रांड रेबेल में डेनिस किनकैड में यह बताते हैं कि औरंगजेब ने अपने अब्बा को कैद तो कर लिया था, मगर वह उन्हें मार नहीं सकता था, क्योंकि उसे विद्रोह का डर था। इसलिए वह उन्हें तरह तरह से प्रताड़ित करता था।
कभी वह जिस बुर्ज में कैद थे तो उसके बाहर ढोल बजवाता था, या फिर हर प्रकार के युद्ध अभ्यास करवाता था, और शाहजहाँ के पास नई-नई लड़कियां भी भेजता था। डेनिस किनकैड लिखते हैं कि औरंगजेब चाहता था कि उसके अब्बा शाहजहाँ मर जाएं, मगर वह उन्हें मरवा नहीं सकता था। इसलिए वह कई प्रकार के जतन करता था। वह उनके पास नई लड़कियां भेजता था और एक दिन जब शाहजहाँ कैद में बंद आईना देख रहे थे तो एक कनीज शाहजहाँ की शारीरिक कमजोरी पर हंसने लगी और जिसके बाद दुखी होकर शाहजहाँ ने एप़ॉडिज़िऐक (कामोत्तेजक औषधि) मंगवाकर खाई कि वह मूर्छित हो गया और फिर मानुकी के शब्दों में, कभी उसे होश न आया और इस तरह सबसे शक्तिशाली सुलतान इस दुनिया से विदा हुआ!
इतना ही नहीं उसने दारा शिकोह की हिन्दू बीवी (प्रेमिका) पर भी बुरी नजर डाली थी और राना ए दिल नामक महिला ने अपने सुन्दर चेहरे को चाकुओं से घायल कर दिया था। औरंगजेब के ये दुर्दांत किस्से केवल उसके घर के हैं, हिन्दुओं के साथ किए गए उसके दुर्व्यवहार की निशानियाँ तो जीवंत ज्ञानवापी कूप एवं मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर जाकर देखी जा सकती हैं। हिन्दुओं पर जजिया लगाने से लेकर गोकुल जाट की हत्या, शिवाजी को धोखे से कैद करने समेत औरंगजेब के पाप इतने हैं, कि कार्ति चिदंबरम पढ़ते-पढ़ते थक जाएंगे, मगर औरंगजेब के कुकृत्य समाप्त नहीं होंगे।
और औरंगजेब के बाद ईस्ट इण्डिया कम्पनी के प्रति कार्ति चिदम्बरम का मोह क्या कहलाता है, जिसके अत्याचारों के विरोध में तो खुद वही कांग्रेस खड़ा होने का दावा करती है, जिस कांग्रेस के वह नेता हैं? आतताइयों से कांग्रेस नेताओं का प्रेम क्या कहलाता है?
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