मोदी सरकार ने 2014 में फर्जी राशन कार्डों के जरिये सरकारी राशन को हड़पने की शिकायतों को मद्देनजर रखते हुए एक सत्यापन अभियान शुरू किया था। बीपीएल राशन कार्ड और उनमें कितने परिवार के सदस्य है, उन्हें आधार कार्ड से जोड़ा गया है कि नही आदि विषयों की पड़ताल की गई । 2014 से 2021 तक हुए सत्यापन की कारवाई में 4 करोड़ 28 लाख 15 सौ 85 राशन कार्ड फ़र्ज़ी पाए गए इन राशन कार्ड के जरिये मिलने वाला सस्ता सरकारी राशन, या तो बिचौलिए या फिर राशन डिपो के स्वामी ही हड़प्प रहे थे।
जानकारी के अनुसार अकेले उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में 1 करोड़ 70 लाख 75 हज़ार 301 राशन कार्ड फ़र्ज़ी पाए गए।
हिमालय राज्यों की दी गयी जानकारी में सबसे ज्यादा उत्तराखंड में 6 लाख 46 हज़ार 337 राशन कार्ड निरस्त किये गए। नागलैंड मे 45347, त्रिपुरा में 191793, असम में 340831, हिमाचल में 65694, जम्मू कश्मीर में 85859, मणिपुर में 61198, मेघालय में 13109, अरुणाचल में 5626, मिजोरम में 4103, राशन कार्ड फ़र्ज़ी पाए गए है।
जानकारी के मुताबिक केंद्र और राज्य सरकार के इस सयुंक्त अभियान में स्वतंत्र एजेंसियों से सत्यापन करवाया गया और अब राशन वितरण में सरकार द्वारा बायोमैट्रिक प्रणाली का तकनीक उपयोग किये जाने से जाली राशन कार्ड की हकीकत सामने आ गयी।
पीएम मोदी ने केंद्र की गरीबों के लिए राशन वितरण व्यवस्था को पारदर्शी और लाभार्थी को ही मिले सीधे लाभ के लक्ष्य के साथ ये सत्यापन अभियान चलवाया था जिसकी वजह से देश मे हर जरूरतमंद को निःशुल्क खाद्यान की आपूर्ति होने लगी है। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी और खास तौर पर पीएम मोदी को लाभार्थियों के वोट बैंक ने अपना जन समर्थन दिया था। उसके पीछे बड़ी वजह यही थी कि अब राशन डिपो से फर्जीवाड़ा खत्म हो गया है, तकनीक के सहारे हर जरूरतमंद के पास राशन पहुंचने से सरकार की योजनाएं भी तारीफ बटोर रही है।
फिर से शुरू हो रहा है सत्यापन
केंद्र सरकार एक बार फिर से राशन कार्ड सत्यापन की योजना और काम करने जा रही है, मोदी सरकार वन नेशन वन राशन कार्ड योजना पर आगे बढ़ चुकी है। यानि आप का राशन कार्ड कहीं का भी बना हुआ है जरूरतमंद को देश के किसी भी राशन डिपो से सरकारी राशन मिल सकेगा। सरकार ऐसा इस लिये करने जारही है कि बड़ी संख्या में गरीब मजदूर घर से दूर दूसरे शहरों कस्बो में मजदूरी करने जाते है और उनका राशन मूल निवास स्थल पर राशन डिपो में ही हड़प लिया जाता है।
वजीफों में भी हुआ था घपला
उत्तराखंड में कांग्रेस शासन काल मे मदरसों में पढ़ने वाले 2 लाख 16 हज़ार बच्चो को केंद्र से छात्रवृत्ति की रकम आती थी, जब मोदी सरकार ने बच्चों के आधारकार्ड जरूरी किये तो 1 लाख 96 हज़ार बच्चे गायब हो गए, इस वजीफे घोटाले की जांच अब भी उत्तराखंड का समाज कल्याण विभाग कर रहा है।
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