तमिलनाडु में एम.के. स्टालिन की अगुवाई वाल द्रमुक सरकार ने राज्य भर में संचालित अम्मा मिनी क्लीनिक को बंद करने का फैसला किया है। राज्य सरकार इसे ‘अव्यवहारिक’ करार देते हुए कहा कि ये क्लीनिक ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। इन क्लीनिक में नियुक्त चिकित्सकों को दूसरे अवसर दिए जाएंगे। पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक (एआईडीएमके) सरकार ने सूबे के लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए एक साल पहले ही प्रदेश स्तर पर अम्मा मिनी क्लीनिक की शुरुआत की थी।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री एम. सुब्रमण्यम ने मंगलवार को कहा कि अम्मा मिनी क्लीनिक ठीक ढंग से काम नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वास्तव में अम्मा मिनी क्लीनिक में किसी को प्रभावी तरीके से इलाज नहीं मिल रहा था। द्रमुक सरकार की मक्कलई थेडी मारुथुवुम, इन्नीयुर कापोम जैसी योजनाओं के पास उन लोगों के आंकड़े हैं, जिनका इलाज किया गया, लेकिन अम्मा मिनी क्लीनिक के पास इनके आंकड़े ही नहीं हैं। इसलिए इन क्लीनिक में तैनात चिकित्सकों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा दूसरे जगहों पर नियुक्त किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “यह एक अस्थायी योजना थी, जिसमें 1,820 डॉक्टरों की नियुक्ति की गई थी। ये क्लीनिक उन मकानों में बनाए गए थे, जो दूसरे उद्देश्यों के लिए काम कर रहे थे। इसमें कोई नर्स भी नहीं थी। अम्मा मिनी-क्लीनिकों में नियुक्त चिकित्सकों से कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान सेवाएं ली जा रही थीं। कोरोना संबंधी कार्यों में उनकी सेवाएं को अब मार्च 2022 तक बढ़ा दिया गया है। इसके बाद सरकार उन चिकित्सकों का समुचित उपयोग करेगी।” बता दें कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ई.के. पलानीसामी ने दिसंबर 2020 में अम्मा मिनी क्लीनिक की शुरुआत की थी। गरीबों को जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए प्रदेश भर में करीब 2,000 अम्मा मिनी क्लीनिक खोले गए थे।
स्वास्थ्य मंत्री सुब्रमण्यम का कहना है कि क्लीनिक तो खोल दिए गए, लेकिन सवाल यह है कि क्या ये प्रभावी तरीके से काम कर रहे थे? जब द्रमुक सत्ता में आई तो मुख्यमंत्री स्टालिन ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाया और इन क्लीनिक में काम करने वाले किसी भी चिकित्सक को न तो नौकरी से निकाला और न ही निलंबित किया। इसके विपरीत उन्हें दूसरी नौकरियां दी गईं।
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष पलानीसामी का आरोप है कि द्रमुक सरकार राजनीतिक बदले की भावना के तहत अम्मा मिनी क्लीनिक को बंद कर रही है। उन्होंने कहा कि अम्मा मिनी क्लीनिक ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में गरीब लोगों को उनके आवास के पास इलाज उपलब्ध कराने के एकमात्र उद्देश्य से खोले गए थे। चूंकि इस योजना में अम्मा का नाम (दिवंगत अन्नाद्रमुक नेता जे जयललिता) है, इसलिए सिर्फ राजनीतिक प्रतिशोध के कारण द्रमुक सरकार ने इन्हें बंद करने का फैसला लिया है। यह अत्यंत निंदनीय है। सरकार ने एक बार फिर दिखाया है कि उसे दलितों के कल्याण की परवाह नहीं है।
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