केंद्र सरकार द्वारा लड़कियों की शादी की उम्र 18 बजाय 21 साल कर दिए जाने का मुस्लिम नेताओं द्वारा विरोध किया जाने लगा है। मुस्लिम नेताओं का तर्क है जब दुनिया के अन्य देशों में लड़कियों के विवाह का उम्र 16 से 18 साल है तो यहां 21 साल करने का औचित्य समझ नहीं आता।
सपा सांसद डॉ एसटी हसन ने कहा है कि जब 18 साल की उम्र में लड़कियों को वोट देने का अधिकार दे चुके हैं, इन्हें बालिग होने का कानूनी अधिकार है तो ऐसे में शादी की उम्र 21 साल कर देना सरकार का फैसला सही है। मौलाना इश्तियाक कादरी ने कहा है कि दुनिया के देशों में 16 साल की उम्र में लड़कियों की शादी हो रही है, हमारे यहां 18 की उम्र सही थी इसे 21 करना सही नहीं कहा जा सकता। इससे भविष्य में जन्म अनुपात में दिक्कतें आएगी। उन्होंने कहा कि मेल पार्टनर की उम्र वैसे भी हमारे मुल्क में ज्यादा होती है।
इधर सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार के इस फैसले को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि जब लड़कियां 18 की उम्र में अपना नेता चुन सकती हैं तो क्या अपना पति नहीं चुन सकती? ओवैसी ने कहा जिसको देर से शादी करनी होती है वो देर से करती है, ये उसके बालिग होने के बाद का फैसला है वो जब चाहे शादी करे। उधर सरकार का तर्क है कि लड़कियां पढ़ने के लिए अपने आप को समाज मे आत्मनिर्भर बनाने के लिए समय चाहती है इसलिए 18 के बजाय शादी की उम्र 21 साल ठीक है और इसके लिए लड़कियों ने ही पीएम से ये मांग की थी।
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