कानपुर और वाराणसी में गंगा, अयोध्या में सरयू और मथुरा – वृंदावन में यमुना में प्रदूषण पहले की अपेक्षा कम हो रहा है। इन नदियों में गिरने वाले नालों को टैप कर दिया गया है और एसटीपी से जोड़ते हुए नालों के पानी का ट्रीटमेंट कर शोधित किया जा रहा है। इन प्रमुख शहरों के 37 नालों को नदी में गिरने से रोका गया है। अब इनके किनारों पर नए-नए एसटीपी बनाये गये हैं।
वाराणसी में इसका असर दिखाई देने लगा है। यहां 161.31 करोड़ रुपये की लागत से 50 एमएलडी का नया एसटीपी तैयार हो चुका है, जिसमें गंगा नदी में गिरने वाले 3 नालों को टैप किया गया है। नालों के पानी को एसटीपी में ट्रीटमेंट कर शोधित किया जा रहा है। इसी प्रकार मथुरा-वृंदावन में यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए मथुरा में 460.45 करोड़ रुपये की लागत से 20 नालों को टैप किया गया है। उल्लेखनीय है कि एक वर्ष में गंगा एवं उसकी सहायक नदियां, यमुना, रामगंगा और सरयू में गिरने वाले 72 नाले टैप किये गये हैं। नदियों के जल की गुणवत्ता में भी पहले से काफी सुधार आया है।
नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव के अनुसार, नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए युद्ध स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। खास तौर पर वो बड़े महानगर जहां से गंगा, यमुना और सरयू जैसी प्रमुख नदियां गुजरती हैं। वहां नालों को टैप करने के साथ-साथ नए एसटीपी शुरू किए जा रहे हैं। नदियों की स्वच्छता से जुड़ी हर योजना और हर कार्य की त्रिस्तरीय निगरानी की जा रही है। अयोध्या में सरयू नदी में गिरने वाले सभी नालों को टैप कर दूषित जल को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में पहुंचाया जा रहा है। इससे अयोध्या में पवित्र नदी सरयू के जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। यहां 37.67 करोड़ रुपये की लागत से 5 नालों को टैप किया गया है। 12 एमएलडी के एसटीपी का निर्माण कार्य भी पूरा कर लिया गया है।
कानपुर के बिठूर में 13.40 करोड़ रुपये की लागत से 7 नालों को टैप किया गया है। नालों के पानी को एसटीपी में ट्रीटमेंट कर शुद्ध किया जा रहा है। 430.49 करोड़ रुपये की सीवरेज योजना से 106.67 किमी सीवर लाइनों को बिछाने का काम पूरा कर लिया गया है। इसके साथ ही 10350 सीवर हाउस कनेक्शन किये गये हैं और गंगा नदी में 182 किमी लंबाई में सिल्ट निकालने का काम पूरा कर लिया गया है।
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