आतंकियों को पैसा उपलब्ध कराने और वित्तीय धांधलियों के आरोपी पाकिस्तान का एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से निकलने की नई कवायद
क्या प्रधानमंत्री इमरान खान (बाएं) लगाम कस पाएंगे आतंकी हाफिज सईद पर (दाएं)
दुनिया के सामने पाकिस्तान ने कहा भले ही है कि उसने एक भ्रष्टाचार निरोधी निगरानी तंत्र बनाया है, लेकिन विशेषज्ञ इसे उस इस्लामी देश का एक और छलावा ही मान रहे हैं। जून, 2018 में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ की ग्रे सूची में पाकिस्तान का नाम डाले जाने के बाद से ही वह खुद को सुधारने के ऐसे कई दिखावे पहले भी कर चुका है इसलिए इस ताजा कवायद को भी कोई गंभीरता से लेने को तैयार नहीं है।
समाचार है कि पाकिस्तान के एंटी करप्शन वॉचडाग ने वित्तीय अपराधों और तमाम संसाधनों के गैरकानूनी तरीके से एक से दूसरे के हाथ जाने की जांच के लिए यह 'टेरर फाइनेंसिंग सेल' स्थापित किया है। इसकी स्थापना को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से लेकर नीचे तक के तमाम नेता अब इस 'सेल' के प्रचार-प्रसार में लगे हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी यही समझे कि इस्लामी देश एफएटीएफ की उस ग्रे सूची से बाहर आने के लिए 'सकारात्मक प्रयास' कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि पेरिस में मुख्यालय वाली स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) दुनिया के तमाम देशों पर मुख्यत: दो पैमानों के हिसाब से नजर रखता है। एक, वहां वित्तीय भ्रष्टाचार किस हद तक है और दो, आतंकवाद को कहीं पैसा तो नहीं पहुंच रहा। पाकिस्तान को तीन साल पहले दोनों मामलों में दोषी पाया गया था और इसीलिए जून 2018 में उसका नाम एफएटीएफ की ग्रे सूची में डाला गया था। उसके बाद से हर साल वह पैमानों पर असफल होता रहा और ग्रे सूची में शामिल रहा।
सब जानते हैं कि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को 2019 के आखिर तक धन शोधन और आतंक को आर्थिक मदद पर रोक लगाने हेतु एक एजेंडा अमल में लाने को कहा था। लेकिन अपनी आदत के अनुसार इस्लामी देश ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया या कहें घर में पल रहे हाफिज सईद, मसूद अजहर और सलाहुद्दीन जैसे आतंकियों के सामने वहां के हुक्मरानों की एक न चली। पाकिस्तान के अंग्रेजी दैनिक 'डॉन' में प्रकाशित रपट के अनुसार, एफएटीएफ की ग्रे सूची से नाम हटवाने की जुगत में लगे पाकिस्तान के एनएबी ने यह कदम उठाया है।
सूत्रों के अनुसार, एफएटीएफ की इस बार की बैठक में अधिकांश सदस्यों का यही रुख था कि पाकिस्तान के साथ सख्ती से पेश आना चाहिए। उसे हर हाल में आतंकियों के हाथों में पैसा पहुंचने के रास्तों पर रोक लगानी होगी। इसके अलावा पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र की ओर से घोषित आतंकी संगठनों पर लगाम लगानी होगी। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान का राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व इस दृष्टि से सक्षम नहीं है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान से हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकी सरगनाओं पर कानूनी कार्रवाई करने को भी कहा है।
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