नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार देर शाम अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया। उन्होंने इसका कारण स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं बताया, लेकिन यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब संसद का मानसून सत्र शुरू ही हुआ है। अब सभी के मन में एक ही सवाल है — भारत का नया उपराष्ट्रपति कैसे चुना जाएगा..?
क्यों अहम है उपराष्ट्रपति का पद..?
- भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होता है।
- अगर राष्ट्रपति का पद किसी वजह से रिक्त हो जाए, तो उपराष्ट्रपति ही कार्यवाहक राष्ट्रपति बनता है।
- यह देश के सबसे ऊंचे संवैधानिक पदों में से एक है।
कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव..?
- केवल सांसद (MPs) ही वोट देते हैं— दोनों में लोकसभा और राज्यसभा सदस्य सम्मलित होते हैं।
- राज्यसभा के नामित सदस्य भी इस वोटिंग में हिस्सा लेते हैं।
- उपराष्ट्रपति के चुनाव में राज्य के विधायक शामिल नहीं होते, जैसा कि राष्ट्रपति चुनाव में होता है।
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कौन लड़ सकता है उपराष्ट्रपति का चुनाव..?
- उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार का भारतीय नागरिक होना आवश्यक है।
- उम्मीदवार की उम्र कम से कम 35 साल होनी चाहिए।
- उम्मीदवार के पास राज्यसभा का सदस्य चुने जाने की पात्रता होनी चाहिए।
- उम्मीदवारी के लिए उम्मीदवार को ₹15,000 की जमानत राशि जमा करनी होती है, जो हारने पर या बहुत कम वोट मिलने पर जब्त हो जाती है।
आसान भाषा में समझिए उपराष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति का चुनाव प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन सिस्टम से होता है, जिसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट प्रणाली कहते हैं। इसमें हर सांसद को एक बैलेट पेपर मिलता है। जिसमे उन्हें सभी उम्मीदवारों को प्राथमिकता के अनुसार रैंक देना होता है— जैसे 1, 2, 3, इसे उदाहरण के तौर पर समझें तो- अगर उम्मीदवार A, B और C हैं, तो मतदान प्रक्रिया में सम्मलित कोई भी सांसद A को “1”, B को “2” और C को “3” नंबर दे सकता है।
कैसे होती है उपराष्ट्रपति पद के वोटों की गिनती.?
उपराष्ट्रपति पद के वोटों की गिनती के लिए कुल वैध वोटों की संख्या को 2 से भाग देकर उसमें 1 जोड़ा जाता है — इससे जीत का आंकड़ा तय होता है। उदाहरण के लिए अगर 787 सांसदों ने वोट डाले, तो 787 ÷ 2 = 393.5 → 393 + 1 = 394 वोट चाहिए जीत के लिए।
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अब मतगणना में पहले राउंड में सिर्फ पहली पसंद के वोटों को गिना जाता है। अगर कोई उम्मीदवार पहले ही राउंड में 394 या उससे अधिक वोट पा जाता है, तो वह जीत जाता है। अगर ऐसा नहीं हो पता तो जिस उम्मीदवार को सबसे कम वोट मिले, उसे हटा दिया जाता है और उसके वोटों में दी गई दूसरी पसंद गिनी जाती है। इसके बाद ये प्रक्रिया तब तक चलती है, जब तक किसी उम्मीदवार को जरूरी बहुमत न मिल जाए।
अब क्या होगा जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद..?
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब चुनाव आयोग जल्द ही नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की तारीख घोषित करेगा। जिसमे सभी प्रमुख दल अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगे, और संसद के दोनों सदनों के सांसद गुप्त मतदान के जरिए भारत के 15वें उपराष्ट्रपति का चुनाव करेंगे।
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