पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर अत्याचारों की खबरें एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हाल ही में, 15 साल की हिंदू छात्रा शनीला मेघवार के अपहरण और 14 साल की कमला कोल्ही के जबरन इस्लामिक कन्वर्जन और निकाह की घटनाओं ने मानवाधिकार संगठनों और स्थानीय समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। ये घटनाएं न केवल व्यक्तिगत त्रासदी हैं, बल्कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदू लड़कियों के साथ हो रहे व्यवस्थित अन्याय को उजागर करती हैं।
शनीला मेघवार का अपहरण
15 साल की शनीला मेघवार सिंध प्रांत के बदिन जिले के मटली सेशंस कोर्ट रोड पर अपने परिवार के साथ रहती थी। नौवीं कक्षा की छात्रा शनीला के मन में पढ़ाई और बेहतर भविष्य के सपने थे। लेकिन 23 जून की रात को दो हथियारबंद लोगों ने उनके घर में घुसकर बंदूक की नोक पर उसका अपहरण कर लिया। वॉयस ऑफ पाकिस्तान माइनॉरिटी (VOPM) के मुताबिक, इस घटना को एक महीने से ज्यादा वक्त बीत चुका है, लेकिन शनीला का कोई सुराग नहीं मिला। परिवार लगातार न्याय की गुहार लगा रहा है, पर पुलिस पर आरोप है कि वह अपराधियों को बचाने में लगी है। सोशल मीडिया पर शनीला के लिए इंसाफ की मांग जोर पकड़ रही है, और कई लोग स्थानीय प्रभावशाली लोगों पर अपहरणकर्ताओं को संरक्षण देने का आरोप लगा रहे हैं।
कमला कोल्ही का जबरन धर्म परिवर्तन
दूसरी ओर, खीप्रो, संघार जिले में 14 साल की हिंदू लड़की कमला कोल्ही की कहानी भी कम दुखद नहीं है। तीन महीने पहले कमला का अपहरण हुआ, और उसे जबरन इस्लाम कबूल करवाकर निकाह कर दिया गया। हाल ही में, जब कमला को अदालत में पेश किया गया, तो उनके वकील ने जन्म प्रमाण पत्र (बी-फॉर्म) पेश कर उनकी उम्र साबित करने की कोशिश की। लेकिन अदालत ने कमला के बयान को प्राथमिकता दी और उसे मच्छी समुदाय के लोगों को सौंप दिया। अल्पसंख्यक अधिकार कार्यकर्ता शिवा कच्छी ने इस फैसले पर निराशा जताई। उन्होंने बताया कि सिंध चाइल्ड मैरिज रेस्ट्रेंट एक्ट और हाल के संघीय कानून के बावजूद, जो बिना राष्ट्रीय पहचान पत्र (CNIC) के विवाह को अपराध मानते हैं, इन कानूनों का पालन नहीं हो रहा।
हिंदू समुदाय का दर्द और व्यवस्था की नाकामी
पाकिस्तान के सिंध प्रांत, खासकर थार, उमरकोट, मीरपुरखास, घोटकी और खैरपुर जैसे इलाकों में हिंदू समुदाय की आबादी उल्लेखनीय है। लेकिन गरीबी और सामाजिक हाशिए पर होने के कारण ये समुदाय आसान निशाना बन जाता है। शनीला और कमला जैसे मामले कोई अपवाद नहीं हैं। हर साल सैकड़ों हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक लड़कियों को अगवा कर, जबरन कन्वर्जन करवाकर और निकाह के लिए मजबूर किया जाता है। मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि ये घटनाएं न केवल व्यक्तिगत परिवारों के लिए दुखद हैं, बल्कि यह एक बड़ी सामाजिक और व्यवस्थागत समस्या का हिस्सा हैं, जहां अल्पसंख्यकों को न्याय मिलना मुश्किल है।
सोशल मीडिया पर गुस्सा
इन घटनाओं के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा दिख रहा है। कई यूजर्स ने इन मामलों को पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे “प्रायोजित अत्याचार” का हिस्सा बताया है। शनीला के अपहरण और कमला के जबरन कन्वर्जन की खबरों ने स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींचा है। लोग सरकार और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
कानूनी और सामाजिक चुनौतियां
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक लड़कियों के अपहरण और जबरन कन्वर्जन के खिलाफ कानून मौजूद हैं, लेकिन इनका लागू होना एक बड़ी चुनौती है। 2016 में सिंध विधानसभा ने जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ एक बिल पास किया था, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि स्थानीय प्रभावशाली लोग और धार्मिक संगठन अक्सर इन मामलों में हस्तक्षेप करते हैं, जिससे पीड़ित परिवारों को इंसाफ मिलना और भी मुश्किल हो जाता है।
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