पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के कल्याणी सब-डिवीजनल कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में डिजिटल अरेस्ट घोटाले में शामिल नौ लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह भारत में इस तरह के साइबर अपराध के लिए पहली सजा मानी जा रही है। इस मामले में एक सेवानिवृत्त कृषि वैज्ञानिक को एक करोड़ रुपये से अधिक की ठगी का शिकार बनाया गया था। यह सजा न केवल साइबर अपराध के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संदेश देती है, बल्कि इसे ‘आर्थिक आतंकवाद’ के रूप में भी परिभाषित किया गया है।
मामले की शुरुआत
यह मामला 6 नवंबर 2024 को सामने आया, जब कल्याणी के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने रानाघाट पुलिस स्टेशन के साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज की। शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्हें 19 अक्टूबर 2024 को एक व्हाट्सएप कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को मुंबई के अंधेरी पुलिस स्टेशन का सब-इंस्पेक्टर हेमराज कोली बताया। कॉलर ने पीड़ित को वित्तीय धोखाधड़ी के एक कथित मामले में फंसाने की धमकी दी और उनके नाम पर जाली दस्तावेज भेजे। सात दिनों तक लगातार धमकियों और मनोवैज्ञानिक दबाव के जरिए पीड़ित को ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा गया, जिसके चलते उन्होंने कई बैंक खातों में 1.1 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई
शिकायत मिलने के बाद, रानाघाट साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया। पश्चिम बंगाल पुलिस के सीआईडी साइबर क्राइम सेल ने कई राज्यों में छापेमारी की, जिसके परिणामस्वरूप 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से तीन गुजरात, सात महाराष्ट्र और तीन हरियाणा से थे। जांच में पता चला कि कॉल्स कंबोडिया से रूट किए गए थे, लेकिन इसका मूल भारत में ही था। पुलिस ने कई बैंक पासबुक, एटीएम कार्ड, सिम कार्ड और मोबाइल फोन जब्त किए।
कोर्ट में पेश किए गए सबूत
पुलिस ने इस मामले में 2,600 पेज का एक विस्तृत चार्जशीट तैयार किया, जिसे कल्याणी जिला कोर्ट में पेश किया गया। चार्जशीट में नौ आरोपियों—मोहम्मद इम्तियाज अंसारी (40), शाहिद अली शेख (25), शाहरुख रफीक शेख (29), जतिन अनूप लडवाल (23), रोहित सिंह (20), रूपेश यादव (23), साहिल सिंह (26), पठान सुमैया बानो (30), और फाल्दु अशोक (35)—के खिलाफ ठोस सबूत पेश किए गए। इन पर भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धारा 338 (दस्तावेजों में जालसाजी) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66सी और 66डी के तहत आरोप लगाए गए।
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सजा का ऐलान
कल्याणी कोर्ट की अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश सुभेर्थी सरकार ने गुरुवार को नौ आरोपियों को दोषी करार दिया और शुक्रवार, 18 जुलाई 2025 को उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। विशेष लोक अभियोजक ने इस अपराध को ‘आर्थिक आतंकवाद’ करार देते हुए कठोर सजा की मांग की थी। रानाघाट पुलिस जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ धापोला ने इसे साइबर अपराध जांच में बंगाल के लिए एक ऐतिहासिक दिन बताया।
पुलिस के अनुसार, इस गिरोह ने देशभर में 108 लोगों को निशाना बनाया और 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की। एक अन्य मामले में, इस गिरोह ने भद्रेश्वर के एक वरिष्ठ नागरिक से 41 लाख रुपये ठगे, जिनकी पत्नी कैंसर से जूझ रही थी। इस सजा को साइबर अपराध के खिलाफ एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है।
वहीं बचाव पक्ष ने संकेत दिया है कि वे इस सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे। पुलिस का कहना है कि मजबूत डिजिटल साक्ष्यों ने इस मामले में दोषियों को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जांच में लाभार्थी खातों और फोन नंबरों के विश्लेषण से इस जटिल नेटवर्क का खुलासा हुआ।
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