सनातन धर्म की महानता ही है कि जो भी व्यक्ति किसी और के बहकावे में आकर किसी दूसरे मत को स्वीकार भी कर लेता है, तो भी वो सनातन धर्म को नहीं भूल पाता है। ताजा मामला छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के पखांजूर इलाके में बसे कोयगांव का है, जहां तीन परिवारों के 16 लोगों ने ईसाइयत को त्यागकर सनातन धर्म में घर वापसी की।
तीन साल पहले बने थे ईसाई
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, करीब तीन साल पहले कोयगांव के रहने वाले लोग ईसाई मिशनरियों के सम्पर्क में आए। इन लोगों को ईसाई मिशनरियों ने अच्छे, इलाज, पैसा, अच्छी जीवनशैली और स्वस्थ आहार का झांसा देकर ईसाई मत स्वीकार करवा दिया। तीन साल से ये लोग ईसाइयत का बोझ ढोते आ रहे थे। अब तीन साल के बाद हरिसलाम, कृष्णा सलाम और नरसू सलाम ने अपने-अपने परिवार के साथ सनातन धर्म में फिर से घर वापसी की।
नहीं थी मानसिक संतुष्टि
घर वापसी करने वाले लोगों का कहना है कि ईसाई मत स्वीकार करने के बाद उन्हें प्रार्थना सभाओं में जाना पड़ता था। इसके अलावा उन्हें अपने मूल धर्म को त्यागने के बाद से कभी भी मानसिक संतुष्टि नहीं मिली थी। लेकिन डर के कारण ये लोग किसी से कुछ भी कह नहीं पा रहे थे। इसी दरमियान एक दिन इन लोगों की मुलाकात कुछ हिन्दू संगठन के पदाधिकारियों से हो गई। इन लोगों ने उनसे मदद मांगी और हिन्दू संगठनों की मदद से एक बार फिर से ये लोग अपने मूल में वापस आ सके।
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किन-किन लोगों ने की घर वापसी
घर वापसी करने वाले लोगों में कृष्णा सलाम के परिवार से उनकी पत्नी संगीता सलाम, बेटा संदीप, बेटी संगीता, सोनिया, विद्या और संध्या ने घर वापसी की। वहीं नरसू के सलाम के परिवार से उनकी पत्नी कविता, बेटा आयूष और बेटी निशा और करीना। इसके अलावा हरसिंह सलाम के परिवार से वह, उनकी पत्नी लाजवंती, बेटा काजल और बेटे आशीष ने घर वापसी की। इसके साथ ही कई और ने भी ईसाइयत को त्यागा है।
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