मध्य प्रदेश

भोपाल में बांग्लादेशी अब्दुल का खुलासा, नेहा किन्नर बनकर बनाए फर्जी दस्तावेज

भोपाल में एक बांग्लादेशी नागरिक अब्दुल कलाम, जो नेहा किन्नर के नाम से 10 साल तक फर्जी दस्तावेजों के साथ रह रहा था, पुलिस ने पकड़ा। अवैध प्रवास और जालसाजी की जांच जारी।

Published by
Kuldeep Singh

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक बांग्लादेशी नागरिक, अब्दुल कलाम, पिछले दस साल से नेहा किन्नर के नाम से अपनी असली पहचान छिपाकर शहर में रह रहा था। उसने न सिर्फ अपना नाम और पहचान बदली, बल्कि फर्जी दस्तावेजों की मदद से खुद को भारतीय नागरिक दिखाने की कोशिश की। भोपाल पुलिस ने हाल ही में उसे पकड़ा, और अब उसकी हरकतों की गहरी जांच चल रही है। यह मामला अवैध तरीके से भारत में रहने और फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल जैसे गंभीर मुद्दों को सामने लाता है।

कैसे हुआ खुलासा?

भोपाल के मंगलवारा और बुढवारा इलाकों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग ज्यादा रहते हैं। अब्दुल, जो नेहा किन्नर के नाम से जाना जाता था, इन्हीं इलाकों में रह रहा था। पुलिस को खुफिया विभाग से जानकारी मिली, जो अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों पर नजर रखता है। इस सूचना के आधार पर तलैया पुलिस ने अब्दुल को हिरासत में लिया। पूछताछ में पता चला कि वह 30-32 साल का है और 17 साल की उम्र में गैरकानूनी ढंग से भारत आया था। उसने पश्चिम बंगाल, असम, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों में समय बिताया।

फर्जी दस्तावेजों का जाल

सबसे हैरानी की बात यह है कि अब्दुल ने नेहा किन्नर के नाम से आधार कार्ड और वोटर आईडी जैसे जरूरी दस्तावेज बनवा लिए थे। इन दस्तावेजों की मदद से वह भारतीय समाज में आसानी से घुल-मिल गया और अपनी बांग्लादेशी पहचान को छिपाने में कामयाब रहा। यह मामला फर्जी दस्तावेजों के गैरकानूनी कारोबार की गंभीर समस्या को उजागर करता है, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। पुलिस अब इस बात की तहकीकात कर रही है कि उसने ये दस्तावेज कैसे बनवाए और क्या इसमें कोई बड़ा आपराधिक गिरोह शामिल है।

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पुलिस की सख्ती और जांच

भोपाल पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी मिश्रा ने बताया कि शहर में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों की पहचान के लिए एक खास अभियान चलाया जा रहा है। अब्दुल को तलैया पुलिस स्टेशन में कड़ी सुरक्षा में रखा गया है। उससे पिछले कई सालों की गतिविधियों के बारे में पूछताछ हो रही है। पुलिस यह भी देख रही है कि क्या वह किसी संदिग्ध गतिविधि या आपराधिक नेटवर्क से जुड़ा था। उसके फोन, कॉल रिकॉर्ड, सोशल मीडिया और चैट की भी बारीकी से जांच की जा रही है।

पहले भी रहा है विवादों में

सूत्रों के मुताबिक, अब्दुल पांच साल पहले एक दूसरे ट्रांसजेंडर के साथ मारपीट के मामले में शामिल था। इस केस की आखिरी सुनवाई जल्द ही कोर्ट में होने वाली है। यह जानकारी बताती है कि वह न सिर्फ अवैध प्रवास में लिप्त था, बल्कि स्थानीय गलत गतिविधियों में भी शामिल हो सकता है।

आगे क्या होगा?

पुलिस ने बताया कि अब्दुल के दस साल के अवैध प्रवास की पूरी जांच के बाद उसे बांग्लादेश वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू होगी। भोपाल पुलिस ने लोगों से अपील की है कि अगर उन्हें किसी संदिग्ध व्यक्ति के बारे में जानकारी हो, तो वे तुरंत पुलिस को बताएं। इससे अवैध गतिविधियों और फर्जी दस्तावेजों के खेल को रोका जा सकेगा। यह मामला भारत में अवैध प्रवास और पहचान की जालसाजी जैसे बड़े मुद्दों पर सवाल उठाता है। अब्दुल उर्फ नेहा किन्नर की कहानी न सिर्फ एक व्यक्ति की धोखाधड़ी को दिखाती है, बल्कि सीमा सुरक्षा और दस्तावेजों की जांच प्रणाली को और मजबूत करने की जरूरत को भी सामने लाती है।

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