एफआईपी ने भ्रामक खबरों के खिलाफ उठाया कदम (फोटो साभार: टीएनआईई)
Ahmedabad Plane crash: फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (एफआईपी), जो 5,000 से ज्यादा पायलटों और विमानन का प्रतिनिधित्व करता है, ने 18 जुलाई 2025 को रॉयटर्स और वॉल स्ट्रीट जर्नल (डब्ल्यूएसजे) को कानूनी नोटिस भेजा। यह कदम अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया फ्लाइट AI171 के दर्दनाक हादसे पर इन समाचार एजेंसियों की कथित तौर पर “अटकलभरी और बिना सबूत” की खबरों के खिलाफ उठाया गया। इस हादसे में 260 लोगों की जान चली गई। एफआईपी का कहना है कि इन खबरों ने पायलटों की छवि को ठेस पहुंचाई और बिना पुख्ता सबूत के उन्हें हादसे का जिम्मेदार ठहराया है।
12 जून 2025 को, एयर इंडिया की बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, फ्लाइट AI171, अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरते समय टेकऑफ के कुछ ही पलों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस हादसे में 242 यात्रियों में से 241 और जमीन पर मौजूद 19 लोगों की मौत हो गई। शुरुआती जांच में सामने आया कि विमान के दोनों इंजनों में ईंधन की आपूर्ति रुक गई, क्योंकि ईंधन नियंत्रण स्विच “रन” से “कटऑफ” स्थिति में चले गए। कॉकपिट की वॉयस रिकॉर्डिंग में एक पायलट को दूसरे से पूछते सुना गया कि उसने ईंधन स्विच क्यों बंद किया, जिसका जवाब था कि उसने ऐसा नहीं किया। हालांकि, जांच अभी पूरी नहीं हुई है, और कोई अंतिम नतीजा सामने नहीं आया है।
एफआईपी ने रॉयटर्स के 17 जुलाई के लेख, “एयर इंडिया कॉकपिट रिकॉर्डिंग सुझाव देती है कि क्रैश से पहले कैप्टन ने इंजन को ईंधन बंद किया,” और डब्ल्यूएसजे के लेख, “एयर इंडिया क्रैश जांच में नए विवरण पायलट पर केंद्रित,” को गलत और भ्रामक बताया। इन लेखों में दावा किया गया कि कैप्टन सुमीत सभरवाल ने जानबूझकर या गलती से ईंधन स्विच बंद किए, जिसके आधार पर हादसे की जिम्मेदारी पायलटों पर डाली गई। एफआईपी का मानना है कि ये दावे बिना आधिकारिक पुष्टि के महज अटकलें हैं, जो मृत पायलटों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाते हैं।
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एफआईपी ने रॉयटर्स और डब्ल्यूएसजे से तीन मांगें रखी हैं:
लेख में सुधार: दोनों एजेंसियों को अपने लेखों में स्पष्ट अस्वीकरण जोड़ना होगा और ऐसी सामग्री हटानी होगी जो पायलटों को दोषी ठहराती हो।
स्पष्टीकरण जारी करना: यह स्वीकार करना कि जांच अभी अधूरी है और लेख गैर-आधिकारिक स्रोतों पर आधारित थे।
आगे ऐसी खबरें न छापना: जब तक आधिकारिक अंतिम रिपोर्ट न आए, तब तक हादसे के कारणों या पायलटों की जिम्मेदारी पर अटकलें न लगाई जाएं।
एफआईपी ने चेतावनी दी है कि इन मांगों को न मानने पर वे मानहानि, मानसिक पीड़ा, और प्रतिष्ठा को नुकसान के लिए कानूनी कदम उठाएंगे।
एफआईपी के अध्यक्ष कैप्टन सी.एस. रंधावा ने बताया कि ये नोटिस शुक्रवार शाम को भेजे गए। उन्होंने कहा कि शुरुआती जांच में पायलटों की गलती का कोई स्पष्ट सबूत नहीं है, और ऐसी खबरें न सिर्फ पायलटों का मनोबल तोड़ती हैं, बल्कि जनता का विमानन उद्योग पर भरोसा भी कम करती हैं। साथ ही, एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएलपीए इंडिया) ने जांच में पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया और मांग की कि पायलट प्रतिनिधियों को जांच में शामिल किया जाए।
एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी) ने 12 जुलाई को प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की, जिसमें बताया गया कि हादसे का कारण इंजनों में ईंधन की आपूर्ति रुकना था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हुआ कि स्विच कैसे बंद हुए। एएआईबी ने कहा कि जांच अभी जारी है और अंतिम नतीजों का इंतजार करना चाहिए। भारतीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भी मीडिया से अपील की है कि वे अटकलों से बचें, क्योंकि इससे पीड़ित परिवारों को और दुख पहुंचता है।
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