गत 11 जुलाई को पेरिस में आयोजित यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति की 47वीं बैठक में भारत के ‘मराठा सैन्य परिदृश्य’ को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। इसमें छत्रपति शिवाजी द्वारा निर्मित 12 किलों को स्थान मिला है। यह महज स्थापत्य कला या इतिहास ही नहीं, उस जुझारू मराठा सामर्थ्य और रणनीतिक कौशल की भी वैश्विक स्वीकार्यता है, जिसने 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच उपमहाद्वीप की राजनीति को नई दिशा दी।
इसी के साथ भारत के 44 स्थल विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित हो गए हैं। इनमें 36 सांस्कृतिक स्थल, सात प्राकृतिक स्थल और एक मिश्रित स्थल है। शिवाजी महाराज के जिन 12 किलों को धरोहर सूची में शामिल किया गया है, उनमें 11 महाराष्ट्र में और एक तमिलनाडु में है।
इस नामांकन को लेकर समिति में गहन बहस हुई। अंतरराष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद् ने भारत की दावेदारी को स्थगित करने की सिफारिश की। लेकिन भारत की कूटनीतिक प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के समर्थन ने नामांकन को आधिकारिक रूप से विश्व धरोहर स्थल के रूप में अंकित करने में मदद की। मैक्सिको, ग्रीस, यूक्रेन, लेबनान, केन्या, कजाकिस्तान, वियतनाम, इटली, जाम्बिया, कोरिया गणराज्य, कतर और जमैका जैसे देशों ने भारत के पक्ष में मतदान करते हुए इसे समर्थन दिया। यह निर्णय भारत के लिए केवल सांस्कृतिक विजय नहीं, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी ऐतिहासिक धरोहर के प्रति सजगता का प्रतीक है।
हालांकि, महाराष्ट्र में लगभग 400 किले हैं। विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में फैले ये किले मराठा शासन के सैन्य कौशल को दर्शाते हैं। लेकिन इनमें से केवल 11 किलों को यूनेस्को की सूची के लिए चुना गया।
महाराष्ट्र में सात विश्व धरोहर स्थल इनमें छह सांस्कृतिक और एक प्राकृतिक
इससे पहले, 2021 में छत्रपति शिवाजी के 12 किलों को ‘भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य’ के अंतर्गत संभावित विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था। जनवरी 2024 में संस्कृति मंत्रालय द्वारा 2024-25 के लिए यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए आधिकारिक तौर पर इन्हें चुना गया। अक्तूबर 2024 यूनेस्को की टीम ने किलों का सर्वेक्षण किया। फरवरी 2025 में महाराष्ट्र के चार-सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने इन किलों को विश्व धरोहर का दर्जा दिलाने के लिए तकनीकी और कूटनीतिक प्रस्तुतियां देने हेतु पेरिस का दौरा किया।
महाराष्ट्र में अब कुल सात विश्व धरोहर स्थल हो गए हैं। इनमें छह सांस्कृतिक और एक प्राकृतिक है। ये हैं- अजंता गुफाएं (1983), एलोरा गुफाएं (1983), एलीफेंटा गुफाएं (1987), छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (पूर्व में विक्टोरिया टर्मिनस) (2004), विक्टोरियन स्थापत्य शैली (गोथिक) तथा मुंबई के आर्ट डेको एन्सेम्बल्स (2018) और महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल के पश्चिमी घाट प्राकृतिक श्रेणी (2012) में क्रमिक संपदाएं हैं। इस वर्ष विश्व धरोहर स्थलों की सूची में सम्मिलित भारत का मराठा सैन्य परिदृश्य महाराष्ट्र से विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित छठी सांस्कृतिक सम्पदा है।
यूनेस्को का यह कदम मराठा किलों के संरक्षण और संवर्द्धन की दिशा में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सहायता को भी प्रोत्साहित करेगा। साथ ही, पर्यटन उद्योग में नए अवसर खोलते हुए स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल प्रदान करेगा।
(लेखक पत्रकार एवं इतिहासवेत्ता हैं )
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