—सुबोध कुमार साहा
किशनगंज जिले लिए यह गर्व की बात है कि रक्षा मंत्रालय ने विद्या भारती द्वारा संचालित किशनगंज के सरस्वती विद्या मंदिर को सैनिक स्कूल का दर्जा प्रदान किया है। यह बिहार का चौथा स्कूल है, जिसे यह मान्यता प्राप्त हुई है। यह जानकारी ‘लोक शिक्षा समिति’ के सचिव रामलाल ने दी। इससे पहले पटना, भागलपुर और रोसड़ा के विद्यालयों को सैनिक स्कूल का दर्जा मिल चुका है। अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे होने के कारण किशनगंज को संवेदनशील जिला माना जाता है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य स्थानीय बच्चों को देश सेवा की मुख्यधारा से जोड़ना और उन्हें बेहतर अवसर प्रदान करना है। इसके साथ ही छात्रों में शिक्षा के साथ संस्कार एवं राष्ट्रहित सोच जगाना है। लोक शिक्षा समिति बिहार के तत्वावधान में संचालित इस विद्यालय को अब सैनिक स्कूल के रूप में विकसित किया जा रहा है। विद्यालय प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष नन्द किशोर पोद्दार ने इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा रक्षा मंत्रालय के द्वारा किशनगंज को यह जिम्मेदारी सौंपना गर्व की बात है। हम पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ इस दायित्व को निभाएंगे। विद्यालय के प्राचार्य नागेन्द्र तिवारी ने बताया कि जुलाई, 2025 से सैनिक स्कूल की पढ़ाई शुरू हो जाएगी। इसके लिए 100 सीटें निर्धारित की गई हैं, जिनमें 60 प्रतिशत सीटें स्थानीय बच्चों के लिए आरक्षित होंगी, जबकि शेष 40 प्रतिशत सीटों पर देशभर से चयनित छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा। प्रवेश प्रक्रिया में लिखित परीक्षा और चिकित्सकीय जांच होगी। साथ ही विद्यालय में पहले से पढ़ रहे छात्रों के लिए आंतरिक परीक्षा के आधार पर नामांकन की सुविधा भी उपलब्ध होगी। सैनिक स्कूल के रूप में विद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और अनुशासित वातावरण प्रदान करने के लिए विशेष तैयारी की जा रही है। प्राचार्य नागेन्द्र तिवारी ने बताया कि आदर्श छात्रावास की व्यवस्था की जा रही है। बच्चों के रहने, पढ़ने और खेलकूद के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं, ताकि उन्हें किसी प्रकार की असुविधा न हो। हॉस्टल को अंतिम रूप देने का कार्य तेजी से चल रहा है जिससे छात्रों को बेहतर माहौल मिल सके। रक्षा मंत्रालय की यह पहल किशनगंज जैसे सीमावर्ती जिले के लिए मील का पत्थर साबित होगी। यह न केवल स्थानीय प्रतिभाओं को नई दिशा देगी, बल्कि उन्हें देश सेवा के लिए प्रेरित भी करेगी।
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