गत दिनों जिनेवा में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आई.एल.ओ.) ने 113वां अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन (आई.एल.सी.) आयोजित किया। इसमें 15 सदस्यीय भारतीय श्रमिक प्रतिनिधिमंडल ने भी भाग लिया। इस प्रतिनिधिमंडल में भारतीय मजदूर संघ (बी.एम.एस.) के पांच, ए.आई.टी.यू.सी. के दो, एच.एम.एस. के दो, सी.आई.टी.यू. के एक, यू.टी.यू.सी. के एक, ए.आई. यू.टी. यू. सी. के एक, टी.यू.सी.सी. के एक, एन. एफ. आई. टी.यू. के एक और सेवा के एक प्रतिनिधि शामिल थे।
इनका नेतृत्व बी.एम.एस. के अखिल भारतीय संगठन सचिव बी. सुरेंद्रन ने किया। भारतीय श्रमिक समूह ने म्यांमार, फिलिस्तीन, बेलारूस, मलेशिया, नेपाल और भारतीय ‘आउटसोर्स’ श्रमिकों की बातों को उठाया। बी. सुरेन्द्रन ने नेपाल के निजी प्रतिष्ठानों में काम करने वाले भारतीय प्रवासी श्रमिकों और भारतीय ‘आउटसोर्स’ श्रमिकों की अनिश्चित स्थितियों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने नेपाल में संचालित एक प्रमुख दवा कंपनी की श्रम-विरोधी नीतियों को भी उजागर किया। इस दौरान ब्रिक्स देशों की ट्रेड यूनियनों की भी बैठक हुई। इस बैठक का संचालन भी बी. सुरेंद्रन ने किया। बैठक में कई देशों के प्रतिनिधियों ने भारत में भारतीय मजदूर संघ के साथ संबंध विकसित करने में रुचि दिखाई। यह प्रतिनिधिमंडल 15 जून को भारत लाैटा।
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