इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पीएफआई ने 972 लोगों की हत्या के लिए एक हिट लिस्ट तैयार की थी। उसकी इस साजिश का राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पर्दाफाश कर दिया किया है। जांच एजेंसी ने कहा है कि पीएफआई ने न केवल हिन्दुओं और अन्य धर्मों के लोगों को, बल्कि कुछ मुस्लिम विद्वानों को भी निशाना बनाने की साजिश रची थी।
जांच एजेंसी ने बताया PFI मकसद
केरल कौमुदी की रिपोर्ट के अनुसार, पीएफआई के मकसद को स्पष्ट करते हुए एनआईए ने कहा है कि कट्टरपंथी संगठन समाज में अशांति फैलाने और अपनी विचारधारा को बलपूर्वक थोपने के लिए हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने की फिराक में था। पीएफआई के सीक्रेट दस्तावेजों से इस बात का खुलासा हुआ है कि अपनी विचारधारा को थोपने के लिए वह धार्मिक विद्वानों को डराने-धमकाने और उनकी आवाज को दबाने की साजिश रच रहा था।
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कट्टरता का विरोध करने वाले मुस्लिम थे निशाने पर
सूत्रों के मुताबिक, PFI ने उन मुस्लिम विद्वानों को विशेष रूप से निशाना बनाया, जो संगठन की कट्टर विचारधारा का विरोध करते थे। एनआईए ने इस सिलसिले में कई सबूत जुटाए हैं, जिनमें हथियारों की तस्करी, भड़काऊ सामग्री का प्रसार और हिंसक गतिविधियों के लिए फंडिंग के प्रमाण शामिल हैं। वहीं दूसरी ओर एनआईए ने देशभर में PFI के ठिकानों पर छापेमारी की और कई संदिग्धों को हिरासत में लिया। जांच एजेंसी अब इस साजिश के पीछे शामिल अन्य लोगों की तलाश में जुटी है ताकि इस नेटवर्क को पूरी तरह से ध्वस्त किया जा सके।
क्या है पीएफआई का मिशन 2047
प्रतिबंधित संगठन पीएफआई ने मिशन-2047 का लक्ष्य रखा है। इसके तहत उसने 2047 तक भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है।
क्या है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि जांच एजेंसी ने कोच्चि की एक विशेष अदालत में पलक्कड़ में RSS नेता श्रीनिवासन की हत्या के मामले में चार आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान इस बात का खुलासा किया था। एनआईए ने अदालत को बताया कि पलक्कड़ में RSS नेता श्रीनिवासन की 16 अप्रैल 2022 को हुई हत्या PFI की व्यापक साजिश का हिस्सा थी, जिसका मकसद सामाजिक और सांप्रदायिक अस्थिरता पैदा करना था।
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