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पंजाब : 100 करोड़ के साइबर फ्रॉड मामले में ईडी की एंट्री, पुलिस से मांगा रिकॉर्ड

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राकेश सैन

चंडीगढ़ । प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) ने पंजाब से संबधित एक साईबर फ्राड केस में दखल देते हुए केस से संबंधित कागजात की मांग की। इसके बाद केस से जुड़े लोगों में हडक़म्प मच गया। इस मामले में गठित की गई विशेष जांच दल (एसआईटी) और जिला पुलिस से ई.डी. ने 100 करोड़ रुपये के कथित साइबर धोखाधड़ी मामले का ब्यौरा मांगा। एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार ई.डी. ने पंजाब पुलिस को पत्र लिखकर मामले से संबंधित रिकॉर्ड और कथित घोटाले के सभी आरोपियों का ब्यौरा मांगा। ई.डी. ने तर्क दिया कि केस में शामिल धनराशि और दूसरे देशों के लोगों के अपराध में शामिल होने को देखते हुए यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र में आता है। करीब 10 दिन पहले पुलिस से रिकॉर्ड मांगा गया था। यह सिर्फ वित्तीय धोखाधड़ी का मामला नहीं है। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा भी शामिल है। ई.डी. ऐसे मामलों की जांच करता है। बताया जा रहा है कि पुलिस ने केंद्रीय एजेंसी को रिकॉर्ड भेज दिया।

गौरतलब है कि अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक वी. नीरजा की अध्यक्षता में एक एस.आई.टी. मामले की जांच कर रही है। पंजाब के डी.जी.पी. गौरव यादव ने इस महीने की शुरुआत में एस.आई.टी. का गठन किया था। कथित साइबर धोखाधड़ी का मामला तब प्रकाश में आया जब पंजाब पुलिस इंस्पेक्टर अमनजोत कौर ने 28 अगस्त को पंजाब के डी.जी.पी. को एक पत्र लिखा, जिसमें आरोप लगाया गया कि घोटाले में कुछ प्रभावशाली लोग शामिल हैं और जांच को मोहाली जिले से बाहर स्थानांतरित किया जाना चाहिए। उन्होंने मांग की थी कि केस की  जांच या तो राज्य साइबर सेल या जांच ब्यूरो को सौंप दी जानी चाहिए।

9 जनवरी को जब इंस्पेक्टर अमनजोत कौर जिला साइबर सेल की प्रभारी के तौर पर तैनात थीं, तब उन्होंने एक कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया था, जो कथित तौर पर मोहाली के सेक्टर 108 में एक घर से संचालित किया जा रहा था। कथित कॉल सेंटर के मालिक वरिंदर राज कपूरिया, संकेत, सोनू, रजत कपूर और निखिल कपिल के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

इसके अलावा, मोहाली जिला अदालत ने अप्रैल में इंस्पेक्टर अमनजोत कौर के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने का आदेश दिया था, जब याचिकाकर्ता पलक देव ने सी.आर.पी.सी. की धारा 156 (3) के तहत एक आवेदन दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अधिकारी ने उनसे कथित तौर पर 25 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। हालांकि जिला अदालत के आदेश पर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी। सुनवाई की अगली तारीख 16 अक्टूबर है।

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