भारत रत्न लता मंगेशकर : गूंज रहेगी सदा
July 17, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

भारत रत्न लता मंगेशकर : गूंज रहेगी सदा

by यतीन्द्र मिश्र
Sep 28, 2024, 09:20 am IST
in भारत
भारत रत्न लता मंगेशकर  (फाइल फोटो)

भारत रत्न लता मंगेशकर (फाइल फोटो)

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

यतीन्द्र मिश्र

भारतीय संगीत के संसार में लता मंगेशकर की उपस्थिति अदम्य और अद्वितीय थी। आज, जब वे इस नश्वर संसार में नहीं हैं, तब उनके होने की प्रासंगिकता कुछ और अधिक जीवन्त ढंग से उभर आती है। दक्षिण एशियाई स्त्रियों के बीच में उनकी उपस्थिति इतनी शानदार है कि उसकी तुलना अमेरिका में एला फिट़जेरल्ड, फ्रांस में एदीत प्याफ और मिस्र में उम्मे कुलसुम से की जा सकती है। उनके जीवन की आभा ने कुछ ऐसा असाधारण रचा है कि आज भी उनके गाए हुए गीतों की चमक से दुनिया भर के फसाने लिखे जा सकते हैं। मजरूह सुलतानपुरी ने उनके लिए एक नज्म में कहा था- ‘मुझसे चलता है सारे बज्म सुखन का जादू / चांद लफ़्जों के निकलते हैं मेरे सीने से।’

बानबे बरस और हजारों गानों का विराट साम्राज्य। उन्हें ‘सुर-साम्राज्ञी’ कहा जाता है और जब वे नब्बे बरस की हुई थीं, तब भारत सरकार ने उन्हें विशेष मानद उपाधि ‘डॉटर आफ द नेशन’ से विभूषित किया था। यह अवसर हर उस भारतीय के लिए बहुत भावुक कर देने वाला पल भी रहा, जिसमें एक ऐसी स्त्री का गरिमापूर्ण सम्मान किया गया था, जिसने कभी तेरह बरस की उम्र में अपने पिता के असमय निधन पर मां से बड़े संयत भाव से यह पूछा था – ‘क्या मुझे कल से काम पर जाना पड़ेगा?’ पण्डित दीनानाथ मंगेशकर की वह बिटिया तब खुलकर अपने पिता की मृत्यु पर रो भी नहीं पाई थीं, क्योंकि अचेतन में ही उन्हें इस बात का आभास हो गया था कि इस समय अपने से छोटे चार-भाई बहनों और मां की जिम्मेदारी उनके नाजुक कन्धों पर है। उसी लड़की ने आम भारतीय जनमानस में अपने संघर्ष, तप और अदम्य जिजीविषा से आगे जाकर वह मुकाम हासिल किया कि आज हर भारतीय उनके प्रति श्रद्धा से भरा हुआ है।

आवाज का तिलिस्म

लगभग एक अर्द्धसदी से बड़े समय वितान पर फैला हुआ लता मंगेशकर की आवाज का कारनामा किसी जादू से कम नहीं है। वह एक ऐसे तिलिस्म या सम्मोहन का जीता-जागता उदाहरण रही हैं, जिनकी आवाज की गिरफ्त में आकर न जाने कितने लोगों को उनके दु:ख और पीड़ा से उबरने में मदद मिली है। यह वही लता मंगेशकर हैं, जो पहली बार अपने पिता का हाथ पकड़े हुए बारह बरस की उम्र में दिल्ली में ए.आई.आर. के बुलावे पर रेडियो में रेकॉर्डिंग के लिए पहुंचती हैं। कुछ सहमते हुए राग खम्भावती में ‘आली री मैं जागी सारी रैना’ बन्दिश गाती हैं। आज उनके महान सांगीतिक जीवन से गुजरते हुए इस बात का अन्दाजा लगाने में आश्चर्य होता है कि कैसे नौ साल की नन्हीं लता ने पिता की ‘बलवन्त संगीत नाटक मण्डली’ के ड्रामे ‘सौभद्र’ में नारद का रूप धरकर ‘पावना वामना या मना’ गीत गाया था। नन्हीं लता को पिता विंग में खड़े होकर देख रहे थे और उन्हें उसी उम्र में ‘वन्स मोर’ के शोर में तालियां मिल रही थीं।

जिस दौर में फिल्मों में पार्श्वगायन या अभिनय करना दोयम दर्जे का काम माना जाता था, लता ने वह कर दिखाया, जो नामुमकिन था। उन्होंने फिल्म गायन के बहाने ‘सुगम संगीत’ जैसे हल्के समझे जाने वाले क्षेत्र को अपनी उपस्थिति से ऐसा भरा कि उनके होने से तमाम इज्जतदार घरों की लड़कियों ने संगीत सीखने में दिलचस्पी दिखाई। घरानेदारी संगीत से लोहा लेती हुई उनकी अकेली कोशिश इतनी परिश्रम साध्य, तैयारी और रियाज से भरपूर तथा समाज को अपनी शर्तों पर मुरीद बनाने वाली रही कि एक दौर वह भी आया, जब संगीत और सुरीली आवाज का मतलब लता मंगेशकर होता था।

बदल दिया फिल्म संगीत का मुहावरा

पिछली शताब्दी का पांचवां और छठा दशक इस बात का साक्षी है कि कैसे लता मंगेशकर ने फिल्म संगीत का मुहावरा ही बदलकर रख दिया था। उनके पहले स्थापित गायिकाओं- कानन देवी, अमीरबाई कर्नाटकी, जोहराबाई अम्बालेवाली, सुरैया, राजकुमारी और शमशाद बेगम की तुलना में लता मंगेशकर का स्वर एक ऐसे उन्मुक्त वातावरण में सफल होता दिखाई देने लगा था, जो भारत की स्वाधीनता के बाद संघर्षशील तबके से आने वाली उस महिला की आवाज का रूपक था, जिसे तत्कालीन समाज बिल्कुल नए सन्दर्भों में देख-परख रहा था। 1949 में आई राज कपूर की बेहद कामयाब फिल्म ‘बरसात’ के गीत ‘हवा में उड़ता जाए, मोरा लाल दुपट्टा मलमल का’ लता मंगेशकर की आवाज के बहाने उस दौर के उन तमाम संशयों और पुरानेपन को एकबारगी उड़ा ले गया था, जिसके बाद एक आधुनिक किस्म का फिल्म संगीत उभर सका। बाद का दौर लता मंगेशकर का वह सफलतम दौर है, जिसके माध्यम से भारत के सांस्कृतिक ताने-बाने को उनके कुछ गीतों की अर्थ सम्भावनाओं के माध्यम से पढ़ा जा सकता है। आज जब वे इस दुनिया में नहीं हैं, उनकी समाज निर्माण की प्रेरणा देने वाले ढेरों गीत याद आते हैं, जिनमें कुछ को यहां रेखांकित कर रहा हूं- ‘चली जा चली जा छोड़ के दुनिया’ (हम लोग), ‘औरत ने जनम दिया मर्दों को’ (साधना), ‘मिट्टी से खेलते हो बार-बार’ (पतिता), ‘दुनिया में हम आए हैं, तो जीना ही पड़ेगा’ (मदर इण्डिया), ‘सुनो छोटी सी गुड़िया की लम्बी कहानी’ (सीमा), ‘कभी तो मिलेगी बहारों की मंजिल राही’ (आरती), ‘आज फिर जीने की तमन्ना है’ (गाईड) आदि। यह अन्तहीन सूची है, जिसमें सैकड़ों गीत बरबस मोती की लड़ियों की तरह गुंथते चले जाएंगे, जब आप सामाजिक विमर्श के तहत लता मंगेशकर के काम को परखेंगे।

सर्जनात्मक उपस्थिति

लता जी के होने से फिल्म संगीत परिदृश्य के माध्यम से समाज में बहुत कुछ ऐसा होता चला गया, जो आज भी मिसाल की तरह याद किया जाता है। ऐसे ढेरों वाकये हैं, जिनसे उनकी बड़ी सर्जनात्मक उपस्थिति का अन्दाजा मिलता है। यह लता मंगेशकर ही हैं, जिनके कारण यह सम्भव हुआ कि रेकॉर्ड कम्पनियों ने पहली बार फिल्मों के तवों पर पार्श्वगायकों/गायिकाओं के नाम देना शुरू किया। उन्होंने कभी अश्लील शब्दों के लिए अपनी आवाज की गुलुकारी नहीं की, भले ही फिल्म का बैनर और संगीतकार कितना ही बड़ा क्यों न रहा हो। साहिर लुधियानवी और शैलेन्द्र जैसे गीतकारों ने भी नज्में लिखते हुए इस बात का खास ध्यान रखा कि शब्दों का वजन लता मंगेशकर की गरिमा के अनुकूल हो। ‘अल्ला तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम’ जैसा गीत गाकर, जहां उन्होंने भारत की समावेशी संस्कृति को शिखर पर पहुंचाया, वहीं ‘जो समर में हो गए अमर’ जैसे श्रुतिमधुर गीत से देशभक्ति का भावुक माहौल रचने में कामयाब रहीं। ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ जैसा गीत उनके जीवन का एक ऐसा मुकाम है, जिस पर वे खुद भी गर्व करना पसन्द करेंगी। इसी गीत से उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को रुलाया था। एक बार फिल्म निर्देशक महबूब खान को हफ्ते भर ‘रसिक बलमा’ गीत सुनाती रहीं, जिससे उनका मन बहल जाए, क्योंकि उन्हें हार्ट अटैक हुआ था और वे उनसे यह गीत सुनना चाहते थे। पार्श्वगायिका नूरजहां के प्रति इतनी आदर से भरी हुई थीं कि लन्दन में नूरजहां के घर पर उनके अनुरोध पर लिफ्ट में ही ‘ऐ दिले नादां’ गाकर प्रसन्न किया। ‘ठुमक चलत रामचन्द्र बाजत पैजनिया’ में आस्था के सुर डालने वाली लता जी ने पण्डित भीमसेन जोशी के सुर में सुर मिलाते हुए ‘राम का गुणगान करिए’ गाकर पूरे भारत को यह गीत गुनगुनाने के लिए सहर्ष तैयार कर दिया था…

75 वर्ष के सांस्कृतिक इतिहास की हमराह

ऐसी ढेरों कहानियां हैं, जिनसे इस महान पार्श्वगायिका की जीवन्त रचनात्मक उपस्थिति के कालजयी 75 सालों का सुरीला इतिहास हमें हासिल होता है। यह भी गर्व करने की बात है कि इतना ही समय अपने देश की स्वतंत्रता को भी हासिल है। एक तरह से यह कहा जा सकता है कि भारत की स्वाधीनता के बाद उसका जो सांस्कृतिक इतिहास पिछले पचहत्तर सालों में बनकर तैयार हुआ है, उसकी सबसे जीवन्त प्रतीक, साक्षी और हमराह रही हैं लता मंगेशकर। शताब्दियों के आर-पार उजाला फैलाने वाली उनकी शाश्वत और अविनाशी आवाज शताब्दियों तक इस दुनिया में रहने वाली है। जब तक इस पृथ्वी पर जीवन और मनुष्यता का वास रहेगा, लता जी कहीं नहीं जाने वाली। उनकी अमरता तो उनके जीते जी ही स्थापित हो गई थीं। उनकी महीयसी उपस्थिति को मेरा नमन और भावपूर्ण श्रद्धांजलि।

(लेख पाञ्चजन्य आर्काइव से लिया गया है)

Topics: लता मंगेशकर जीवनलता मंगेशकर पुण्यतिथिलता बचपनलता मंगेशकर की पुण्यतिथिलता दीदीलता मंगेशकर के गानेस्वर कोकिलालता मंगेशकर की मृत्युलता परिचयलता मंगेशकर की मौत का कारणलता पुण्यतिथिस्वर कोकिला लता मंगेशकरBharat Ratna Lata MangeshkarLata Mangeshkar LifeLata Didiलता मंगेशकरLata Death Anniversaryभारत रत्न लता मंगेशकरपाञ्चजन्य विशेष
Share4TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

वीरांगना रानी दुर्गावती

NCERT विवाद के बीच यह लेख पढ़ें : रानी दुर्गावती की बहादुरी, अकबर की तिलमिलाहट और गोंडवाना की गौरव गाथा

क्रूर था मुगल आक्रांता बाबर

“बाबर का खूनी इतिहास: मंदिरों का विध्वंस, हिंदुओं का नरसंहार, और गाजी का तमगा!”

उज्जैन में मुहर्रम पर उपद्रव मचाती मजहबी उन्मादी भीड़ को काबू करती पुलिस

मुहर्रम : देश के विभिन्न राज्यों में उन्मादियों ने जमकर हिंसा और उन्माद मचाया

अमेरिका के यूटा प्रांत स्थित इसी इस्कॉन मंदिर पर गत माह अज्ञात हमलावरों ने गोलीबारी की

हिंदूफोबिया: आस्था पर हमला, भावनाओं पर चोट

फिल्म का एक दृश्य

फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ को न्यायालय के साथ ही धमकी और तोड़फोड़ के जरिए जा रहा है रोका

छत्रपति शिवाजी महाराज

रायगढ़ का किला, छत्रपति शिवाजी महाराज और हिंदवी स्वराज्य

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

कट्टर मजहबी पहचान की तरफ दौड़ लगाता बांग्लादेश : 2047 तक हिन्दू विहीन हो जाएगा देश..?

नगर विकास विभाग की सख्ती : विजयेन्द्र आनंद की होगी जांच, वाराणसी में अनियमितताओं के गंभीर आरोप

यूपी पुलिस का अपराधियों पर प्रहार : 30,000 से ज्यादा गिरफ्तार, 9,000 घायल

स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 : उत्तर प्रदेश ने मारी बाजी, लखनऊ देश में तीसरा सबसे स्वच्छ शहर

उत्तराखंड : सीएम धामी ने कांवड़ियों के पैर धोकर की सेवा, 251 फीट ऊँचे भगवा ध्वज पोल का किया शिलन्यास

Pushkar Singh Dhami in BMS

उत्तराखंड : भ्रष्टाचार पर सीएम धामी का प्रहार, रिश्वत लेने पर चीफ इंजीनियर निलंबित

Operation Kalanemi : सतीश बनकर सलीम मांगता था भिक्षा, साधू वेश में कालनेमि गिरफ्तार

स्वच्छता सर्वेक्षण 2024-25 : इंदौर आठवीं बार सबसे स्वच्छ शहर घोषित, जानिए अन्य शहरों का हाल

उत्तराखंड में भारी बारिश और भूस्खलन का अलर्ट, NDRF-SDRF अलर्ट पर

उत्तराखंड : हरिद्वार गंगा किनारे लगेगा 251 फुट ऊंचा भगवा ध्वज, हुआ शिलान्यास

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies