डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का महाबलिदान और जम्मू-कश्मीर
Sunday, March 26, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • G20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • Subscribe
होम भारत जम्‍मू एवं कश्‍मीर

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का महाबलिदान और जम्मू-कश्मीर

देश जब स्वतंत्रता के हर्ष में झूम रहा था। उसी समय पाकिस्तानी सेना व मुजाहिदों ने जम्मू-कश्मीर पर जिहाद छेड़ दिया। मुजफ्फराबाद, मीरपुर, कोटली जैसे नगरों में हजारों लाखों हिंदुओं का नरसंहार हुआ। असंख्य बलात्कार हुए।

अर्जुन आनंद by अर्जुन आनंद
Jul 3, 2022, 12:57 pm IST
in जम्‍मू एवं कश्‍मीर
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी

Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail

देश जब स्वतंत्रता के हर्ष में झूम रहा था। उसी समय पाकिस्तानी सेना व मुजाहिदों ने जम्मू-कश्मीर पर जिहाद छेड़ दिया। मुजफ्फराबाद, मीरपुर, कोटली जैसे नगरों में हजारों लाखों हिंदुओं का नरसंहार हुआ। असंख्य बलात्कार हुए। जिहादियों ने नृशंसता की सारी सीमाए लांघ दीं। इस पर जब महाराजा हरी सिंह जी ने भारत से सहायता मांगी तो नेहरू जी ने इस शर्त पर सहायता करने की बात की कि सत्ता शेख अब्दुल्ला को सौंपनी पड़ेगी। दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसी विकट परिस्थिति में भी कुछ नेता दलगत राजनीति से ऊपर नहीं उठ सके। बलात्कार व हत्याओं का सिलसिला जारी रहा।

खैर, महाराजा ने हिंदू नरसंहार रोकने व जम्मू-कश्मीर को बचाने हेतु सभी शर्तें मान शेख अब्दुल्ला को राज्य की बागडोर सौंपना स्वीकार किया। भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम सशर्त अधिमिलन की अनुमति नहीं देता था। अतः 26 अक्तूबर 1947 में जम्मू-कश्मीर का भारतीय गणराज्य से अधिमिलन पूर्ण हुआ। सेना को श्रीनगर उतारा गया। जवाबी कार्रवाई शुरू हुई। सैकड़ों वीर सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए। परंतु सोचने का विषय है कि जब भारतीय सेना के साहसी सैनिक मैदान में लड़ने-मरने के बाद जीत की ओर बढ़ ही रही थी। पाकिस्तानी सैनिक जम्मू-कश्मीर से खदेड़े जा रहे थे। उस समय प्रधानमंत्री जी ने सेना वापस बुला ली। एवं पाकिस्तान को ‘शांति’ से जम्मू-कश्मीर से बाहर निकालने का प्रस्ताव ले नेहरू जी यूएन पहुंचे। यूएन ने जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में 3 सुझाव दिए, जिनमें से पहला पाकिस्तानी सेना को वापस हटने का सुझाव था, जो कि कभी नहीं हुआ। पर हम सभी जानते हैं कि सेना को रोककर जो ‘शांतिप्रिय’ रवैया अपनाया गया उससे आज तक जम्मू-कश्मीर में कितनी अशांती फैली है।

इसके पश्चात मामला यूएन में होने के कारण भारतीय संविधान को लागू करने हेतु अनुच्छेद 370 को संविधान में नेहरू जी के बोलने पर शामिल किया गया। इस अस्थाई अनुच्छेद में वैसे कुछ खास था नहीं पर इसकी आड़ में नेहरू जी के चहेते शेख अब्दुल्ला राज्य के एकछत्र राजा सा बन गए। इसी ‘अस्थाई’ अनुच्छेद को आधार बना आज तक अलगाववादी ताकतें बड़े-बड़े झूठे नैरेटिव गढ़ते रहे। अब्दुल्ला राज में जम्मू-कश्मीर में जाने के लिए परमिट का नियम लाया गया जैसे ये देश का हिस्सा ही न हो। तिरंगा लहराने पर वीर मेला राम जैसे युवकों पर गोली चला दी जाती थी। यह सब स्वतंत्र भारत में चल रहा था। और आगे चलकर इस राजनीति ने जो स्वरूप लिया वो देश आज तक झेल रहा है। नेहरू जी की देखरेख में यह सब हो रहा था। इसी कारण लगभग सभी बड़े नेताओं ने इस विषय पर चुप्पी साधी।

इस पूरे प्रकरण में एक बगावती स्वर राष्ट्र विरोध में लिए गए ऐसे हर निर्णय पर संविधान सभा/संसद में सदा बुलंद रहा। भारत मां के उस कर्मठ पुत्र का नाम था डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी। जब श्यामा प्रसाद जी ने संसद का ध्यान जम्मू-कश्मीर में शेख अब्दुल्ला की तानाशाही की ओर आकृष्ट करने का प्रयास किया तब जवाहरलाल नेहरू जी ने बड़ा ही अटपटा बयान दिया। वह कहते हैं कि संविधान से अधिक महत्वपूर्ण जम्मू-कश्मीर के लोगों की राय है। ध्यान रहे कि नेहरू के लिए प्रदेश की ‘राय’ का अर्थ शेख की राय से था। और शेख का तो जम्मू व लद्दाख में कोई आधार ही नहीं था। इन्हीं भारत विरोधी नीतियों के कारण डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने केंद्रीय मंत्रीपद तक को ठोकर मारकर 1951 में भारतीय जन संघ की नींव रखी। जम्मू-कश्मीर पर एक के बाद एक बुरे निर्णय का कड़ा विरोध करते हुए उन्होंने एक राष्ट्रीय आंदोलन खड़ा किया, जिसमें लाखों गिरफ्तारियां दी गईं। कई लोगों ने आत्म-बलिदान दिया। फिर भी भारत सरकार के कानों में जूं तक न रेंगी। रामचंद्र गुहा (‘India After Gandhi’) भी इसकी पुष्टि करते हैं, ‘एक समय जहां अब्दुल्लाह कश्मीर में नेहरू के व्यक्ति थे। वहीं, 1952 की गीष्म ऋतु आते-आते, नेहरू भारत में अब्दुल्लाह के व्यक्ति हो चुके थे।’

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने यह नारा बुलंद किया कि ‘एक देश में दो विधान, दो निशान, दो प्रधान नहीं चलेंगे।’ प. प्रेमनाथ डोगरा जी की अगुवाई में प्रजा परिषद् के रूप में एक राष्ट्रवादी आंदोलन जम्मू-कश्मीर में आंधी की तरह छा गया। शेखशाही ने प्रदर्शनकारियों को खूब यातनाएं दी। इस पर मुखर्जी जी ने जम्मू जाने का निर्णय लिया। उनके परमिट के आवेदन को रद्द कर दिया गया। जिसके बाद परमिट का नियम तोड़ते हुए उन्होंने हजारों प्रदर्शनकारियों के साथ 11 मई 1953 को जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करने का निर्णय किया। उन्हें जम्मू में घुसते ही गिरफ्तार कर लिया गया। उनका स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद उनके निजी डॉक्टर को उनके साथ नहीं आने दिया गया। 23 जून 1953 को कानूनी हिरासत में ही रहस्यात्मक ढंग से कश्मीर में उनकी मृत्यु हो गई। उनके महाबलिदान ने हर भारतीय में प्रेरणा का ऐसा बीज बोया जो 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के निष्क्रिय होने तथा अनुच्छेद 35-अ के हटने के साथ फलीभूत हुआ। उन्हीं के अथक परिश्रम व अतुलनीय बलिदान के कारण अंततः भारत देश में एक विधान, एक निशान एवं एक प्रधान का शासन लागू हुआ।

(लेखक- शोध विद्यार्थी (राजनीति शास्त्र), जेएनयू, जम्मू-कश्मीर व सभ्यतागत विषयों में रुचि)

Topics: Shyama Prasad Mookerjee and J&Kजम्मू-कश्मीरडॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जीश्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदानश्यामा प्रसाद मुखर्जी और जम्मू-कश्मीरJ&KDr. Shyama Prasad MookerjeeSacrifice of Shyama Prasad Mookerjee
Share51TweetSendShareSend
Previous News

अयोध्या : हनुमान मंदिर में सो रहे युवक की गला रेत कर हत्या

Next News

पुलिस कस्टडी से भाग रहे डकैत कमरुल इस्लाम और अबुल हुसैन एनकाउंटर में ढेर

संबंधित समाचार

Washington : जम्मू-कश्मीर पर चर्चा से चिढ़े पाकिस्तानियों की ओछी हरकत, कार्यक्रम में खलल डालने की कोशिश

Washington : जम्मू-कश्मीर पर चर्चा से चिढ़े पाकिस्तानियों की ओछी हरकत, कार्यक्रम में खलल डालने की कोशिश

j&k: एनआईए ने आतंकी मुश्ताक लटरम और बासित की संपत्ति कुर्क की, पाकिस्तान में रहकर घाटी में फैलाते आतंकवाद

j&k: एनआईए ने आतंकी मुश्ताक लटरम और बासित की संपत्ति कुर्क की, पाकिस्तान में रहकर घाटी में फैलाते आतंकवाद

J&K प्रशासन की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति, आईएमपीएआरडी में कथित नियुक्तियों की जांच के आदेश

J&K प्रशासन की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति, आईएमपीएआरडी में कथित नियुक्तियों की जांच के आदेश

PFI के खिलाफ NIA और ईडी की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई, 10 राज्यों में मारा छापा, 100 से ज्यादा लोग गिरफ्तार

टेरर फंडिंग: जम्मू-कश्मीर और दिल्ली में कई स्थानों पर एनआईए की छापेमारी

पासीघाट में वीरों को समर्पित प्रदर्शनी

पासीघाट में वीरों को समर्पित प्रदर्शनी

गोवा मुक्ति आंदोलन के बलिदानी

‘गोवा की मुक्ति के लिए शस्त्र लेकर आओ’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

उत्तराखंड नहीं आई NIA की टीम, पुलिस ने कहा- अमृत पाल के प्रशंसकों पर रखी जा रही है नजर

उत्तराखंड नहीं आई NIA की टीम, पुलिस ने कहा- अमृत पाल के प्रशंसकों पर रखी जा रही है नजर

51 हजार लोगों ने किया हनुमान चालीसा का ढाई लाख पाठ, देश के सबसे स्वच्छ शहर ने बनाया नया कीर्तिमान

51 हजार लोगों ने किया हनुमान चालीसा का ढाई लाख पाठ, देश के सबसे स्वच्छ शहर ने बनाया नया कीर्तिमान

पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की 35 करोड़ रूपये की बेनामी संपत्ति जब्त

पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा की 35 करोड़ रूपये की बेनामी संपत्ति जब्त

मध्यप्रदेश : मिशनरी स्कूल के “फादर” के घर में मिलीं शराब की बोतलें और आपत्तिजनक सामग्री, स्कूल सील

मध्यप्रदेश : मिशनरी स्कूल के “फादर” के घर में मिलीं शराब की बोतलें और आपत्तिजनक सामग्री, स्कूल सील

बाबरी मस्जिद नहीं, हमें जन्मभूमि चाहिए, मोदी के रहते राहुल गांधी कभी नहीं बन सकते पीएम : हिमंत

राहुल गांधी का अहंकार ले डूबा; उनके ‘कर्म’ का फल है : हिमंत बिस्वा शर्मा

भोपाल में गूंजा- ‘हम सब एक हैं’

भोपाल में गूंजा- ‘हम सब एक हैं’

हिंदू धर्म नीच है…यीशु की शरण में आ जाओ नहीं तो तड़प-तड़प कर मर जाओगे, लालच देकर कन्वर्जन कराने वाला युवक गिरफ्तार

हिंदू धर्म नीच है…यीशु की शरण में आ जाओ नहीं तो तड़प-तड़प कर मर जाओगे, लालच देकर कन्वर्जन कराने वाला युवक गिरफ्तार

न्यायिक नियुक्तियां : निष्पक्षता और पारदर्शिता का प्रश्न

न्यायिक नियुक्तियां : निष्पक्षता और पारदर्शिता का प्रश्न

अपने काम से मिली संतुष्टि

अपने काम से मिली संतुष्टि

खालिस्तानी हमलावरों के खिलाफ सैन फ्रांसिस्को में भारतीय अमेरिकी समुदाय ने निकाली रैली

खालिस्तानी हमलावरों के खिलाफ सैन फ्रांसिस्को में भारतीय अमेरिकी समुदाय ने निकाली रैली

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • राज्य
  • Vocal4Local
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • जीवनशैली
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • संविधान
  • पर्यावरण
  • ऑटो
  • लव जिहाद
  • श्रद्धांजलि
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies