गत दिनों हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से मंडल एवं बस्ती एकत्रीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि वे सेवा के लिए समय बढ़ाएं, नए लोगों को जोड़ें और शाखा की संख्या बढ़ाते हुए अपने आचरण को और बेहतर करें।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में संघ के प्रति समाज में उत्सुकता है। स्वार्थ से विरोध करने वाले तो मिल सकते हैं, लेकिन मन से संघ का विरोध करने वाला कोई व्यक्ति नहीं है। ऐसे में संघ के कार्य के प्रति वर्तमान में काफी अनुकूलता है। लेकिन अनुकूलता का एक नुकसान भी होता है कि हम ढीले हो जाते हैं। इसलिए सजगता के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सबसे पहली आवश्यकता प्रतिदिन की शाखा है। हम उसी के भरोसे में हर परिस्थिति को पार कर ध्येय की प्राप्ति करेंगे।
सरसंघचालक ने कहा कि हम तो मातृभूमि की सेवा में तिल-तिल जलना चाहते हैं। मोह, आकर्षणों को पास लाने वाली आदतों से दूर रहना है। इसलिए हमें अपनी साधना निरंतर जारी रखनी है, क्योंकि देश में 6,75,000 गांव हैं और केवल 60,000 स्थानों पर शाखाएं हैं।
उन्होंने कहा कि दिन के आठ घंटे खुद के लिए, आठ घंटे परिवार के लिए और आठ घंटे देश और समाज के लिए दें और अपनी आय का कम से कम एक तिहाई हिस्सा संघ पर भी खर्च करें। जो शाखा में एक घंटा आ रहा है, वह एक घंटा और लगाए। कोई न कोई दायित्व लेकर काम करे। शाखा में आकर संस्कारों की साधना जरूरी है। उन्होंने कहा कि 2025 में संघ के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। ऐसे में हमें संघ को 130 करोड़ लोगों तक पहुंचाना है।
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