बिहार में गोपालगंज और बेतिया जिले में जहरीली शराब पीने से पांच दिन के अंदर लगभग 40 लोगों की मौत हो गई है। यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है, क्योंकि अनेक लोग अभी भी अस्पतालों में भर्ती हैं। यह हाल तब है जब राज्य में पूर्ण रूप से शराबबंदी है। विपक्ष का कहना है कि शराबबंदी के कारण ही लोगों को जहरीली शराब पीनी पड़ती है, इसलिए शराबबंदी की कोई जरूरत नहीं है।
कांग्रेस ने तो शराबबंदी कानून पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है। कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने कहा है कि जहरीली शराब से होने वाली मौतों पर कोई नियंत्रण नहीं है। सरकार को इस पर समीक्षा बैठक बुलानी चाहिए। राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता चितरंजन गगन ने जहरीली शराब कांड को लेकर नीतीश कुमार से इस्तीफे की मांग की है। वहीं सरकार में शामिल भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि बिहार में विपक्षी नेताओं के संरक्षण में शराब का धंधा फल-फूल रहा है। वहीं जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा का कहना है कि जहरीली शराब से हुई मौत की घटना दुखद है, लेकिन सरकार शराबबंदी कानून को दृढ़ता से लागू करने के लिए कृत संकल्प है। इन सबके बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि जो भी शराबंदी नीति को कमजोर करने में लगे हैं, उनकी पहचान कर उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि शराबबंदी राज्य के लोगों के हित में है। इसलिए इसके लिए जनजागरूकता की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि छठ पूजा के बाद 16 नवंबर को शराबबंदी नीति की समीक्षा की जाएगी।
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