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‘‘संघ संस्था नहीं है और न ही कोई संगठन है। यह समाज परिवर्तन का एक साधन मात्र है। विजय की आकांक्षा से ओत-प्रोत एक-दूसरे के लिए जीना ही संघ का मूल उद्देश्य है। संघ के कार्यक्रम के संबंध में स्पष्ट है कोई भी नया कार्य प्रारंभ नहीं करेगा, भिन्न-भिन्न कालखंडों में महापुरुषों की प्रेरणा से प्रांरभ कार्यों को गति प्रदान करना ही संघ का कार्य है।’’उक्त बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख श्री अरुण कुमार ने कही। वे पिछले दिनों जबलपुर महानगर में स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि संघ की स्पष्ट मान्यता है कि समाज की संगठन शक्ति एवं श्रेष्ठ जनों के सहयोग से समाज को सकारात्मकता के साथ दिशा बोध कराना है। हमारा कोई विरोधी नहीं, जो ऐसे लगते हैं वह इसलिए क्योंकि हम उन तक पहुंचे ही नहीं। जब पहुंचेंगे तो वे विरोधी रह जाएंगे। आपातकाल के दौरान एक लाख चालीस हजार स्वयंसेवकों के 19 महीने तक जेलों में बंद रहने के बाद भी तत्कालीन सरसंघचालक श्री बाला साहब देवरस ने कहा था कि इसे भूलो और माफ करो। उन्होंने कहा कि आज विश्व की दृष्टि भारत की ओर है। वह शाकाहार, योग, विचार, दर्शन, समाज संकट से पार पाना, ऐसी ही आशा भरी निगाहों से भारत को देख रहा है। इसलिए स्वयंसेवक एक राष्टÑ- एक समाज का भाव खड़ा करें। (विसंकें,जबलपुर)
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