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विद्या भारती द्वारा ‘वैश्विक चुनौतियां और शिक्षा’ विषय पर पिछले दिनों जयुपर के कृषि अनुसंधान केंद्र पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन बीकानेर के पूज्य संत संवित सोमगिरि जी महाराज ने किया एवं मुख्य अतिथि के रूप में राष्टÑीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं वरिष्ठ प्रचारक श्री इन्द्रेश कुमार उपस्थित थे। इस अवसर पर स्वामी संवित सोमगिरि महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति कालजयी है। हमारे जीवन रूपी ताले की चाबी आज कहीं खो गई है, जिस प्रकार हथोड़े के प्रहार से ताला नहीं खुल पाता, किन्तु चाबी से सहज ही खुल जाता है, उसी प्रकार हमारे जीवन की शिक्षा रूपी चाबी को हमें ग्रहण करना ही पड़ेगा। जिससे हम इस जीवन की चुनौतियों का सहज ही सामना कर सकें। श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि जिन व्यक्तियों में सद्गुण व सद्विचार होते हैं, वे मरने के बाद भी जीवित रहते हैं। केवल उम्र काटने वाला कभी भी महान कार्य करने वाला नहीं बन सकता। अत: हमें आयु से बड़ी चीज के लिए जिए है। शंकराचार्य, विवेकानन्द, दयानन्द, चन्द्रशेखर आजाद, भगतसिंह आदि आयु से बड़ी चीज के लिए जीये, जिसके कारण विश्व उन्हें आज भी याद करता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति आचरण से सन्त होता है और ज्ञान से विद्वान् होता है। शिक्षा वही है, जो मां, मातृभूमि के लिए श्रद्धा उत्पन्न करे। हमें जीवन में तप को धारण करना पड़ेगा, क्योंकि उसके बिना ज्ञान उत्पन्न नहीं होता। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित विद्या भारती के राष्टÑीय मंत्री श्री अवनीश भटनागर ने कहा कि विश्व की कोई भी चुनौती क्यों न हो, उसका समाधान शिक्षा से ही सम्भव है। चुनौतियों का समाधान न हो पाना चिंता का विषय है। किन्तु, हम इसकी गहराइयों में जाकर समाधान खोजेंगे तो राष्टÑ की संस्कृति से संतुलन बनाकर विकसित राष्टÑ का निर्माण कर सकते हैं। कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित राजस्थान के शिक्षा राज्यमन्त्री श्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि शिक्षा के समक्ष अभी दो बड़ी चुनौतियां हैं, संकीर्ण सोच और असहिष्णुता। इस कारण लोकतंत्र की अवधारणा में गिरावट आ रही है। इनका समाधान शिक्षा से ही संभव है।
(विसंकें,जयपुर)
जेएनयू में पहली बार संस्कृतयुवा महोत्सव संपन्न
संस्कृत भारती एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के संस्कृत प्राच्य विद्याध्ययन संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में परिसर के कनवेंशन सेंटर में संस्कृत युवा महोत्सव-2018 का भव्य आयोजन किया गया, जहां देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों व गुरुकुलों के छात्र-छात्राओं ने उत्साह के साथ संस्कृत प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। उद्घाटन समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री दिनेश कामत उपस्थित रहे। उन्होंने संस्कृत भाषा के व्याकरण की उत्कृष्टता को कई रोचक उदाहरणों के साथ समझाया और वैश्वीकरण के इस युग में संस्कृत के विशेष प्रचार की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस अवसर पर उपस्थित विवि. के कुलसचिव श्री प्रमोद कुमार ने संस्कृत के स्वर्णयुग के पुन: आगमन की कामना करते हुए शिक्षा व्यवस्था में संस्कृत को युगानुरूपनए स्वरूप में ढाले जाने पर जोर दिया। संस्कृत भारती के प्रांत अध्यक्ष प्रो़ हरेराम त्रिपाठी ने अपने उद्बोेधन द्वारा संस्कृत शास्त्रों को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए सरल संस्कृत के अध्ययन तथा संभाषण के महत्व को स्पष्ट किया। समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सीवान के सांसद श्री ओम प्रकाश यादव उपस्थित रहे। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि संस्कृत अन्य भाषाओं की जननी है एवं जिस प्रकार हम अपनी माता के विषय में कितना भी कहें वह कम होता है, वैसे ही हम संस्कृत के विषय में जितना भी कहें, कम होगा। प्रतिनिधि
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