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-रंजीत गुप्ता-
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस भी देश की यात्रा पर गए हैं, उन्होंने वहां के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के साथ व्यक्तिगत संबंध बनाने की एक अनूठी काबिलियत दर्शाई है। नेहरू के बाद किसी भी प्रधानमंत्री ने विदेशों से भारत के संबंध बेहतर बनाने में उनके जितना वक्त और ऊर्जा नहीं लगाई है।
ऐसे समय में, जब सऊदी अरब और ईरान के बीच में इतिहास में सबसे ज्यादा तनाव दिखता है, उन्होंने छह हफ्तों के छोटे से अंतराल में ही दोनों देशों की यात्राएं की हैं। वे अगस्त, 2015 में संयुक्त अरब अमीरात गए थे और छह महीने के भीतर ही वहां के राजकुमार ने भारत की यात्रा की थी। इसके नतीजे बेहद संतोषजनक रहे। यू.ए.ई. ने भारत में 75 अरब डॉलर निवेश का करार किया है। सऊदी अरब और यू.ए.ई. के साथ सुरक्षा और प्रतिरक्षा सहयोग को प्राथामिकता दी गई है। सऊदी अरब और यू.ए.ई. में कुल मिलाकर 60 लाख भारतीय बसे हैं। ये भारत के 5 सर्वोच्च कारोबारी सहयोगियों में से हैं। तीनों देशों ने आतंकवाद के विरुद्ध मजबूत सहयोग को भी रेखांकित किया है। बावजूद इसके कि इन तीनों ही देशों के पाकिस्तान के साथ संबंध हैं।
सऊदी अरब भारत में तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है और ईरान के विरुद्ध प्रतिबंध हटाकर इसे जल्दी ही बहुप्रतीक्षित दूसरा स्थान हासिल कर लेना चाहिए। ईरान के साथ हाइड्रोकार्बन के क्षेत्र में तेजी से बढ़ने की स्थिति बन चुकी है, जिसमें ईरान में इस क्षेत्र में भारत ने पंूजीनिवेश किया हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी जून की शुरुआत में कतर जाने वाले हैं, जो भारत का सबसे बड़ा गैस आपूर्तिकर्ता है। भारत के चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के करार पर हस्ताक्षर करना द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्रीय संपर्क में नया अध्याय जोड़ता है। अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी का खुद वहां आना चाबहार यातायात पारगमन गलियारे के त्रिपक्षीय करार के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करता है।
मोदी जल्दी इस्रायल भी जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी का प्रधानमंत्री नेत्यन्याहू के साथ व्यक्तिगत दोस्ती है। इस्रायल खास तौर पर हमारा बहुमूल्य रक्षा सहयोगी है। हालांकि पश्चिम एशिया युद्धों और संघर्षों मे ंउलझा रहा है, लेकिन भारत के आपसी सहयोग के संबंध इसी क्षेत्र में हैं। चीन को छोड़कर किसी भी दूसरे बड़े देश के आपस में उलझे देशों जैसे ईरान, इस्रायल, फिलिस्तीन और सऊदी अरब के साथ बेहतरीन संबंध नहीं हैं।
(लेखक यमन, वेनेजुएला, ओमान, थाईलैण्ड और स्पेन में भारत के राजदूत रहे हैं और पश्चिम एशिया मामलों के गहन जानकार हैं)
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