पाठकों के पत्र
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अंक संदर्भ : 24 अगस्त, 2014
आवरण कथा 'नवोन्मेष की बेला' से प्रतीत होता है कि विश्व हिन्दू परिषद के स्वर्णजयंती पर विशेष रूप से विचारों का जो महासागर प्रस्तुत किया गया वह एक विराट हिन्दू समाज को एक सूत्र में बांधने का प्रयास है। विहिप की 50 वर्षों की अनथक यात्रा में सम्पूर्ण विश्व ने देखा कि समय-समय पर विहिप ने हिन्दू अस्मिता के प्रति पूरी तन्मयता के साथ कार्य करके संदेश दिया है कि इस वट वृक्ष के तले पूरा हिन्दू समाज सुरक्षित है। विहिप हिन्दू अस्मिता के लिए हर दम प्रतिबद्ध है, यह आज किसी से छिपा नहीं है।
—हरिहर सिंह चौहान, जंबरी बाग नसिया,इन्दौर (म.प्र.)
० विहिप के मानवतावादी राष्ट्रसेवा में तल्लीन तमाम प्रकल्प जो रात-दिन मानव सेवा में लगे हुए हैं। लेकिन कुछ राष्ट्र द्रोही हैं, जिन्हें यह दिखाई ही नहीं देता बल्कि उन्हें विहिप की कट्टर सोच दिखाई देती है। बड़ा ताज्जुब होता है कि लादेन,जवाहिरी और अन्य आतंकी उन्हें प्यारे लगते हैं और पूर्ण अहिंसा और न्याय पर बेवाक स्वर देने वाले श्री अशोक सिंहल को पता नहीं क्या-क्या बोल जाते हैं। 'ऊं' और 'भगवा' का नाम लेने मात्र से चिढ़ने वालों को जानना चाहिए कि विहिप पूरे देश और दुनिया भर में अनेक प्रकल्पों को संचालित करता है,जिनका एक ही उद्देश्य है मानवता की सेवा। देश के अनेक प्रान्तों में हजारों-हजार विद्यालय विहिप के मार्गदर्शन से चलते हैं। विहिप पर कटाक्ष करने वाले सेकुलरों को पहले यह देख लेना चाहिए।
—हरिओम जोशी,भिण्ड(म.प्र.)
विहिप की स्वर्णजयंती पर जो विशेष सामग्री दी गई है वह अपने आप में विहिप के विषय में पूर्ण विवरण देने में समर्थ है। विहिप ने अपनी 50 वर्षों की यात्रा में सदैव हिन्दू अस्मिता के लिए कार्य किया इसके लिए हम सभी उसके आभारी हैं और सदैव रहेंगे।
—आचार्य त्रिनाथ, मेरठ (उ.प्र.)
समरसता हो ध्येय
ऊंच-नीच,छुआ-छूत के भेदभाव को मिटाते हुए सद्भाव व समरसता तथा आध्यात्मिक उन्नति के लिए हमारा सनातन समाज प्रयास करे। अनावश्यक व दिखावटी चीजों से बचकर अपने को देश व समाज के लिए समर्पित करें, तभी हमारे देश का मस्तक ऊंचा होगा।
—आचार्य श्री अवस्थी,सीकर (राज.)
विचारोत्तेजक अंक
'पाञ्चजन्य' का स्वाधीनता विशेषांक प्रशंसा योग्य था। सम्पादकीय मूलभूत विषयों से जुड़ी बहस को विचारोत्तेजन देने वाला था। पाञ्चजन्य अपने वैचारिक सृजन संकल्प में यशस्वी हो,हमारी ढेर सारी शुभकामनाएं।
—ह्दयनारायण दीक्षित,दारूलशफा,लखनऊ
देश विरोधी मानसिकता
हाल ही में श्री मोहनराव भागवत द्वारा यह कहना कि यह हिन्दू राष्ट्र है पर देश में ऐसा भूचाल आ गया मानो कोई बहुत बड़ा संकट खड़ा हो गया है। चैनलों पर सेकुलरों की जमात लगनी चालू हो गई और हिन्दू और हिन्दुस्थान को लेकर मनगढ़ंत तथ्य प्रस्तुत किए जाने लगे। इसे अज्ञानता और पूर्वाग्रह ही कहा जायेगा,क्योंकि हिन्दू धर्म एक संस्कृति है और यही राष्ट्र की पहचान है। जो इसका विरोध कर रहे हैं,असल में वही राष्ट्र का विरोध कर रहे हैं।
—सूर्य प्रताप सिंह,कांडरवासा (म.प्र.)
मोदी का बढ़ता विजय रथ
श्री नरेन्द्र मोदी जिस दिन से देश के प्रधानमंत्री बने हैं उस दिन से देश की छवि बदलने लगी है। ऐसा लग रहा है जैसे मोदी का रथ विश्व विजय के अभियान पर निकल चुका है और यह रथ तभी रुकेगा जब सम्पूर्ण विश्व में हिन्दुस्थान की पताका फहर जायेगी। कुछ भी हो अभी तक मोदी जी के विरोधी भी उनके कार्यों की सराहना कर रहे हैं। यह अलग बात है कि वह मीडिया के सामने आकर न बोलते हों पर असल में वह इस सरकार से खुश हैं।
—मूलचन्द्र अग्रवाल, कोरबा (छ.ग.)
मिनी पाकिस्तान बनता श्रीनगर
आज देश का अभिन्न अंग श्रीनगर मिनी पाकिस्तान बनने को पूरी तरह से तैयार हो चुका है। वहां जाने के बाद ऐसा लगता ही नहीं कि हम भारत में हैं। घंटे और मंत्र के स्थान पर नमाज के कुकुहाते स्वर कान फोड़ते हैं। वहां पर रहने वाले मुसलमान हिन्दुओं को ऐसी नजरों से देखते हैं जैसे कोई आतंकी या दूसरे देश का प्राणी आ गया हो। अगर ऐसा ही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब श्रीनगर पूरी तरीके से पाकिस्तान बन जायेगा और हम देखते ही रह जाएंगे।
-डॉ. संजय सिंहल,अलीगढ़ (उ.प्र.)
अस्तित्व पर ही संकट
आज कांग्रेस पार्टी के सामने मरने और जीने का संकट खड़ा हो गया है। साम्प्रदायिक राजनीति करने वाली कांग्रेस भाजपा को लोकसभा में मिली ऐतिहासिक जीत से कोमा में पहुंच गई है। उनके नेता सोच ही नहीं पा रहे हैं कि जिस व्यक्ति का एक स्वर में विरोध किया वह आज देश का प्रधानमंत्री बना गया है। देश की जनता ने इस बार दिखाया है कि जनता जब जागती है तो अच्छे-अच्छों को भागना पड़ता है। कुल मिलाकर आज कांग्रेस अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही है यह किसी से छिपा नहीं रह गया है।
—सुधीर कुमार,हरियाणा
शिक्षा का भारतीयकरण आवश्यक
वर्षों से चाटुकार इतिहासकारों द्वारा सनातन धर्म और हिन्दू की गलत व्याख्या की गई है। आज यही व्याख्या एनसीईआरटी और राज्य की पुस्तकों में है जिसे बच्चे पढ़ रहे हैं। चूंकि हिन्दू और सनातन धर्म की जो सत्य व्याख्या है वह हमारे देश के बच्चों तक नहीं पहुंच पा रही है और वे झूठ को ही सत्य मान रहे हैं। मेरा सुझाव है कि इन पुस्तकों से इस प्रकार की सामग्री तत्काल प्रभाव से केन्द्र सरकार हटाये क्योंकि हमारी वर्तमान व आने वाली पीढ़ी अपने सत्य को न जानकर झूठ को जान रही है, जो हमारे समाज के लिए खतरा है।
—अनूप कुमार यादव, शिवपुरी,इलाहाबाद (उ.प्र.)
प्रधानमंत्री की पहल
भाषा का उद्देश्य शिक्षा प्राप्त कर मात्र भौतिक प्रगति और उन्नयन करना ही नहीं है बल्कि सामाजिक उत्थान करना भी है। भारतीय समाज का जितना विकास संस्कृत भाषा ने किया है,संभवत: उतना विश्व की किसी भी भाषा ने नहीं किया। संस्कृत भाषा के उत्कृष्ट साहित्य,रामायण,महाभारत और नीति शास्त्रों को आधार बनाकर हिंदी में अनेक ग्रन्थ लिखे गए हैं। जिन्होंने हिन्दी भाषा को ही समृद्ध नहीं किया बल्कि लोकरंजन के साथ लोकमंगल भी किया है। लेकिन आज कुछ संकट है। हमारी जिन भाषाओं और संस्कृति को अंग्रेज नष्ट नहीं कर पाए,मान्यता प्राप्त पब्लिक और निजी स्कूल उसे समाप्त कर रहे हैं। दिल्ली का शिक्षा मंत्रालय,शिक्षा सचिव,शिक्षा निदेशक इन निजी स्कूलों की मनमानी रोकने का कोई भी प्रसास नहीं कर रहे हैं,जबकि उन्हें अनेक बार लिखा गया है।
—महेश चन्द्र शर्मा,किशनगंज (दिल्ली)
पहले से तय था दंगा
सहारनपुर में हुआ दंगा पूरी तरह से सुनियोजित था। जिस प्रशासन को समाज की रक्षा के लिए बनाया गया वह इन दंगों में ऐसे मूकदर्शक रहा,जैसे किसी ने हाथ बांध रखे हों। खुलेआम हजारों प्रशिक्षित दंगाई मुसलमान दंगा करते रहे और पुलिस आंखों पर पट्टी बांधे रही। आखिर सवाल है कि किसने प्रशासन के हाथ बांध रखे थे? इन पुलिस वालों पर अब तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गई?आखिर कब तक मुसलमान झूठी अफवाहों पर दंगे करते रहेंगे? साथ ही आज यह भी स्पष्ट हो चुका है कि उ.प्र. की सपा सरकार की मुस्लिम तुष्टीकरण नीति का परिणाम ही सहारनपुर दंगा है।
—आनन्द मेहता, सर्राफा बाजार,सहारनपुर(उ.प्र.)
जन को भाती जन धन योजना
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी जन धन योजना आने वाले दिनों में देश की वंचित आबादी को अर्थव्यवस्था से सीधे जोड़ने का कार्य करेगी। आज तक जो पैसा सरकार द्वारा भेजा जाता था वह गरीबों तक नहीं पहुंचता था और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता था पर आने वाले दिनों में गरीबों को इससे छुटकारा मिलने की संभावना है। लगता है अब आम नागरिकों के भी अच्छे दिन आ गए हैं।
—निमित जायसवाल,मुरादाबाद (उ.प्र.)
हिम्मत की प्रशंसा
तारा शहदेव केस एक बहुत ही निराला केस है। अधिकतर ऐसे अपराधों में लड़कियों की या तो मृत्यु हो जाती है या फिर लड़कियां समर्पण करके मतपरिवर्तन कर लेती हैं। तारा की हिम्मत की दाद देनी चाहिए, जिसने न तो समर्पण किया और न ही मृत्यु से डरी बल्कि पूरे सच को खोलकर देश के सामने ला दिया।
—डॉ. विजय प्रभा,
क्या है इस खामोशी का राज ?
पंजाब में इन दिनों कई ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जिनके लिए जनता यह चाहती है कि उनके प्रतिनिधि बोलें और जनता का मार्गदर्शन करें,पर आश्चर्य है कि सभी ने निराशाजनक खामोशी धारण कर रखी है। आतंकवादियों को सम्मानित करने के कार्यक्रम हो रहे हैं,देश के नेताओं के कातिलों को शहीद बनाया जा रहा है,पुलिस हिरासत में बेचारे नागरिकों को अमानवीय यातनाएं दी जा रही हैं और मनुष्यों ही नहीं,वृक्षों पर भी सरकारी कहर चल रहा है। शहर की मुख्य सड़कों से राष्ट्रीय राजमार्गों से,पुराने छायादार वृक्ष काटे जा रहे हैं। पर हैरानगी है कि जिन्होंने जनता की आवाज बनने के लिए वोट लिए वे सभी खामोश बैठे हैं।
—लक्ष्मीकांता चावला,अमृतसर(पंजाब)
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