खतरों से चेताया
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कोच्चि में केन्द्रीय प्रन्यासी मंडल एवं प्रबंध समिति की बैठक में विहिप ने
*प्रतिनिधि
विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय प्रन्यासी मंडल एवं प्रबंध समिति की तीन दिवसीय बैठक गत 16-18 दिसंबर को कोच्चि (केरल) में सम्पन्न हो गई। यहां “साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक”, “भारत के विरुद्ध चीन की आक्रामकता” एवं “मुसलमानों को हिन्दुओं के अन्य पिछड़ा वर्ग में से आरक्षण देने” से संबंधित प्रस्ताव पारित करते हुए विहिप ने राष्ट्र के समक्ष खड़े संभावित खतरों के प्रति आगाह तो किया ही, साथ ही परिषद् की कार्यकारिणी में भी अनेक महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। परिषद के नए अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष हैदराबाद के श्री राघव रेड्डी, अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डा. प्रवीण भाई तोगड़िया, महामंत्री श्री चंपत राय तथा अध्यक्ष (विदेश्ा) श्री अश्ाोक चौगुले होंगे। परिषद् के वर्तमान अध्यक्ष श्री अश्ाोक सिंहल तथा कार्यकारी अध्यक्ष श्री एस. वेदान्तम् परिषद की सलाहकार परिषद के सदस्य रहेंगे।
बैठक में पारित “साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक” प्रस्ताव में कहा गया है कि विश्व हिन्दू परिषद का प्रन्यासी मंडल एवं प्रबंध समिति सर्वसम्मति से दिल्ली मेंे विगत दिनों कांची कामकोटि पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती की अध्यक्षता में आयोजित देशभर के सनातनी, जैन, बौद्ध, सिख एवं सभी धर्माचार्यों के सम्मेलन में लिए गए निर्णय को मानकर कहती है कि यह विधेयक देश को तोड़ने वाला, असंवैधानिक, हिन्दू-मुसलमान-ईसाई को बांटने वाला, देश के हिन्दुओं को गुनहगार मानकर विश्व में सहिष्णु हिन्दू संस्कृति को बदनाम करने वाला, दंगाई, जिहादी व्यवहार को प्रोत्साहित एवं हिंसा करने के बाद संरक्षण देने वाला है। साथ ही यह देश के प्रशासन के ऊपर कानून के द्वारा नई असंवैधानिक व्यवस्था खड़ी करने वाला है। इसलिए इस प्रस्तावित विधेयक को तत्काल वापस लिया जाए। साथ ही ऐसे कानून का प्रस्ताव करने के लिए उत्तरदायी व्यक्ति, देश एवं हिन्दू जनता से क्षमा मांगे। इसे बनाने वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद को तत्काल भंग भी किया जाए। प्रस्ताव के जरिए विश्व हिन्दू परिषद ने देश के सभी संत, सभी सामाजिक, धार्मिक, बिरादरी की संस्थाओं का आह्वान किया है कि वे देशव्यापी जनजागरण और प्रबल जनआन्दोलन करने के लिए तैयार रहें। साथ ही विहिप ने संकल्प व्यक्त किया है कि किसी भी कीमत पर इस हिन्दू विरोधी एवं गैरकानूनी प्रस्तावित विधेयक को कानून नहीं बनने दिया जाएगा।
“भारत के विरुद्ध चीनी आक्रामकता” के प्रस्ताव में सभी प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मति से भारत की सार्वभौम सम्प्रभुता के विरुद्ध चीन द्वारा की जा रहीं आक्रामक कार्रवाइयों की निंदा की है। प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत ही नहीं, बल्कि दक्षिण, दक्षिण-पूर्व एवं पूर्व एशियाई देशों के लिए संकट उत्पन्न हो गया है। चीन को यदि रोका नहीं गया तो सम्पूर्ण एशिया में संघर्ष छिड़ सकता है। चीन भारत की सम्प्रभुता का बार-बार उल्लंघन कर नियंत्रण रेखा, भारत-तिब्बत सीमा, लद्दाख क्षेत्र व भारत के अभिन्न अंग अरुणाचल प्रदेश में अपनी सेना का निरन्तर अतिक्रमण करा रहा है। भारत के अभिन्न अंग अरुणाचल प्रदेश के संबंध में चीन द्वारा गलत दावेदारी की जा रही है। ऐसे अनेक मुद्दे हैं जो चीन को दोषी सिद्ध करते हैं। इसलिए विहिप चीन द्वारा उत्पन्न समस्याओं से निपटने के लिए भारत सरकार से मांग करती है कि भारत सरकार कठोरता पूर्वक चीन को यह बताए कि भारत की सार्वभौम सीमाओं का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सन् 1962 में संसद द्वारा सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव का सम्मान करते हुए भारत सरकार शीघ्र चीन द्वारा हथियाए गए भू-भाग को पुन: वापस लेने का प्रभावी प्रयत्न करे। चीनी वस्तुओं के भारत में आयात को रोकने के लिए चीनी वस्तुओं पर कठोर कर एवं सीमा शुल्क लगाए। हिन्द महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए भारत सरकार नौसेना, वायुसेना व थलसेना की शक्ति वृद्धि के साथ-साथ कूटनीतिक प्रयास तेज करे। इसके अतिरिक्त विश्व हिन्दू परिषद का प्रन्यासी मंडल चीन द्वारा उत्पन्न किए जाने वाले खतरों के प्रतिकार के लिए सभी देशभक्त नागरिकों से आह्वान करता है कि व्यवसायी तथा आयातकर्ता चीन की निम्नस्तरीय वस्तुओं का व्यापार न करें। भारतीय उपभोक्ता चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करें तथा अपनी असीमित क्रय शक्ति का प्रयोग भारतीय उत्पादोंें को खरीदने में करें। भारत के देशभक्त नागरिक अपना विरोध करने के लिए स्वतंत्रता आंदोलन में विदेश्ाी सामान के बहिष्कार एवं होलिका दहन की तरह चीनी वस्तुओं का न केवल बहिष्कार करें, बल्कि दहन भी करें एवं राजनीतिक एवं सरकारी अधिकारियों को चीन समर्थक नीतियों के लिए उत्तरदायी ठहराएं।
“मुसलमानों को हिन्दुओं के अन्य पिछड़ा वर्ग में से आरक्षण देने” से संबंधित प्रस्ताव में कहा गया है कि विहिप का प्रन्यासी मंडल एवं प्रबंध समिति सर्वसम्मति से संप्रग सरकार द्वारा सच्चर कमेटी की सिफारिशों की आड़ में मजहब के आधार पर हिन्दू समाज के अन्य पिछड़ा वर्ग के 27 प्रतिशत आरक्षण तथा अनुसूचित जाति के लिए निर्धारित आरक्षण में से भी कुछ हिस्सा मुस्लिम समाज को देने का पुरजोर विरोध करती है। प्रस्ताव में कहा गया है कि मजहब आधारित आरक्षण भारतीय संविधान के विरुद्ध, भारत की एकता अखण्डता के लिए खतरा तथा देश में अलगाववाद की भावना जागृत करने वाला है। इसके क्रियान्वयन से देश के पुन: विभाजन का खतरा भी है। इसलिए प्रन्यासी मण्डल एवं प्रबंध समिति इस आरक्षण का प्रबल विरोध करती है।द
सेवा कार्यों का विस्तार होगा मुख्य लक्ष्य
-राघव रेड्डी, नव नियुक्त अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष, विश्व हिन्दू परिषद
हिन्दुत्व पर हमला बर्दाश्त नहीं
विश्व हिंदू परिषद के नव नियुक्त अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जी.राघव रेड्डी पुल्ला रेड्डी ने हिन्दू विरोधी शक्तियों को चेतावनी देते हुए कहा कि विश्व हिन्दू परिषद हिंदुत्व पर हमला कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। वे गत 22 दिसंबर को पदभार संभालने के बाद हैदराबाद में आयोजित अपने प्रथम संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
श्री रेड्डी ने कहा कि वर्ष 2014 में विहिप के पचास साल पूरे होने जा रहे हैं। इस दौरान परिषद का प्रथम लक्ष्य विहिप को ग्राम-तालुका स्तर तक मजबूत बनाना है। साथ ही पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं को तैयार कर परिषद द्वारा किए जा रहे सेवा कार्यों को और विस्तारित रूप दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि विहिप का ध्यान अब सेवा कार्यक्रमों में अधिक रहेगा, लेकिन यदि कोई हिंदुत्व पर हमला करेगा तो उसे किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
श्री रेड्डी ने रूस में श्रीमद भगवद्गीता पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि यह भारत के खिलाफ धार्मिक युद्ध छेड़ने का पहला संकेत है और रूसी लोग श्रीमद् भगवद्गीता को अच्छी तरह समझ नहीं पाए हैं। अब केन्द्र स्तर पर इसका समाधान निकालना होगा। केन्द्र सरकार को ही इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। विहिप के प्रतिनिधि रूस के दूतावास और भारत के प्रतिनिधियों के संपर्क में हैं। “साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक” के संबंध में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यदि यह विधेयक कानून बनता है तो इससे देश की पंथ निरपेक्षता खतरे में आ जायेगी और प्रेम की जगह परस्पर घृणा का प्रसार होगा। शांति व्यवस्था भंग होगी तथा आपसी विद्वेष बढ़ेगा। यह कानून भारत को तोड़ने वाला ज्यादा और जोड़ने वाला कम है। द हैदराबाद से नागराज राव
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