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बंगलादेशी घुसपैठियों के विरुद्धभागलपुर में जनांदोलनसंजीव कुमारबंगलादेशी घुसपैठियों के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की बिहार इकाई ने पूरे प्रान्त में चरणबद्ध आन्दोलन करने का निर्णय लिया है। गत 23 जनवरी को आन्दोलन का प्रारंभ भागलपुर में रा.स्व.संघ, पूर्वोत्तर क्षेत्र के सह प्रचारक डा. कृष्ण गोपाल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि खुफिया एवं सुरक्षा एजेन्सियों द्वारा बार-बार सूचित करने के बावजूद केन्द्र की संप्रग सरकार घुसपैठियों को संरक्षण देकर बसाने की साजिश रच रही है। उन्होंने कहा कि तीन करोड़ से ज्यादा बंगलादेशी घुसपैठिए कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक विभिन्न क्षेत्रों में सस्ती मजदूरी एवं तस्करी के माध्यम से देश पर आर्थिक एवं सांस्कृतिक आक्रमण कर रहे हैं। देश के आन्तरिक भागों में इनकी संख्या बहुत अधिक हो चुकी है। पश्चिम बंगाल के लगभग सभी जिले सहित बिहार के कटिहार, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, भागलपुर जिलों के साथ ही झारखण्ड के पाकुड़, साहिबगंज, गोड्डा, दुमका जिलों में इनकी बहुतायत है। उन्होंने कहा कि बंगलादेशी मुसलमान भारतीय लड़कियों से छल कर शादी करते हैं एवं अनेक राष्ट्रविरोधी घटनाओं को अंजाम देते हैं। प्रतिवर्ष दस हजार से अधिक गायों को बंगलादेश भेजकर उन्हें कत्ल किया जाता है। बंगलादेश में लगभग एक हजार हिन्दू गांवों को उजाड़ा गया है और वहां से हिन्दुओं को खदेड़ दिया गया है। उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि लालची राजनेता देश की अस्मिता बेचने में लगे हैं और उन्हें रोकना युवाओं का धर्म एवं कर्तव्य है। आगामी छह से चौदह फरवरी तक बिहार के विभिन्न जिलों में चरणबद्ध आंदोलन का कार्यक्रम रखा गया है। इस अवसर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रो. एस.के.पी. सिन्हा, प्रो. विजयकान्त दास एवं भागलपुर विश्वविद्यालय की अ.भा.वि.प. शाखा के संगठन मंत्री अंकज कुमार सहित लगभग पांच सौ कार्यकर्ता उपस्थित थे। अरविन्द कुमार सिंहनिशाने पर विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताबिहार में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ताओं को एक बार फिर पुलिस के कहर का शिकार बनना पड़ा है। गत दिनों इसके तीन कार्यकर्ताओं को राष्ट्रद्रोह के एक मुकदमे में फंसाकर जेल भेज दिया गया। इसमें परिषद् के बिहार प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुभाष यादव, ठाकुरगंज के नगर मंत्री बप्पी सरकार तथा नगर सह मंत्री महाराज शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि गत दिनों बंगलादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर किशनगंज के ठाकुरगंज इलाके में ये लोग दीवार पर नारे लिख रहे थे। यह इलाका बंगलादेश और नेपाल से सटा है। स्थानीय इक्का-दुक्का लोगों के विरोध के कारण बाद में इन्होंने अपना लिखा नारा मिटा दिया। परन्तु बताया जाता है कि इस इलाके के प्रमुख नेता ताराचंद धानुका के पुत्र और वर्तमान सपा विधायक गोपाल अग्रवाल की अनुशंसा पर इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। स्थानीय थाने में दर्ज प्रथम सूचना सं. 146/2005 में इनके ऊपर 153 तथा 120 बी के आरोप लगाए गए हैं। परिषद् के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रो. राम नरेश सिंह ने इस गिरफ्तारी के पीछे एक बड़ी साजिश की बात कही है। इन दिनों किशनगंज के आरक्षी अधीक्षक सुनील कुमार सिन्हा हैं, जो “जेल ब्रोक” के समय जहानाबाद के आरक्षी अधीक्षक थे। परिषद् ने इनकी भूमिका पर भी सवाल उठाया है। उल्लेखनीय है कि इस अति संवेदनशील क्षेत्र में राष्ट्रवादी तत्वों पर अक्सर हमले होते रहे हैं। 2003 में फारबिसगंज में परिषद् के कार्यकर्ता संतोष कर्ण की रेलगाड़ी में हत्या कर दी गयी थी। 2004 में बंगलादेशी घुसपैठियों और उनके आश्रयदाताओं द्वारा पूर्णिया के भवानीपुर में परिषद् कार्यकर्ता अरुण जायसवाल की हत्या इसलिए कर दी गयी थी क्योंकि वे अगवा की गई अपनी दो बहनों को छोड़ने की मांग कर रहे थे। 2004 में ही पूर्णिया के अमौर में भाजपा के मंडल अध्यक्ष दिलीप साह एवं उनके परिजनों की हत्या कर दी गयी थी, क्योंकि वे भी इनके अत्याचारों का विरोध कर रहे थे।22
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