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माओवादी आन्दोलन के चलते नेपाली राजनीति में

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Jan 12, 2002, 12:00 am IST
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दिंनाक: 12 Jan 2002 00:00:00

उथल-पुथलनया मंत्रिमण्डललोकेन्द्र बहादुर चांद – प्रधानमंत्री, राजदरबार संबंधी और रक्षा मामलों के मंत्रीबद्री प्रसाद मण्डल – उपप्रधानमंत्री, कृषि तथा सहकारी और स्थानीय विकास मंत्रीरमेशनाथ पाण्डेय – सूचना तथा संचार और सामान्य प्रशासन मंत्रीदेवी प्रसाद ओझा – शिक्षा तथा खेलकूद मंत्रीडा. बद्री प्रसाद श्रेष्ठ – अर्थ मंत्रीनरेन्द्र विक्रम शाह – विदेश मंत्रीधर्म बहादुर थापा- गृह और कानून, न्याय तथा संसदीय व्यवस्था संबंधी मामलों के मंत्रीगोरे बहादुर खपांगी- महिला, बाल बालिका तथा समाज कल्याण मंत्रीडा. उपेन्द्र देवकोटा – स्वास्थ्य और विज्ञान तथा विधि मंत्रीनारायण सिंह पुन – भौतिक योजना तथा निर्माण मंत्रीबद्री नारायण बस्नेत- भूमि सुधार तथा व्यवस्था और वन तथा भू-संरक्षण मंत्रीकमल प्रसाद चौलागाई- श्रम तथा यातायात व्यवस्था और जनसंख्या तथा पर्यावरण मंत्रीकुबेर प्रसाद शर्मा- संस्कृति, पर्यटन तथा नागरिक उड्डयन मंत्रीमहेश लाल प्रधान – उद्योग, वाणिज्य तथा आपूर्ति मंत्रीदीपक जवाली- जल संसाधन मंत्रीअनुराधा कोइराला- महिला, बाल बालिका तथा समाज कल्याण सहायक मंत्रीगोपाल दहित- जनसंख्या तथा वातावरण सहायक मंत्रीरविभक्त श्रेष्ठ- संस्कृति, पर्यटन तथा नागरिक उड्डयन सहायक मंत्रीजगत बहादुर गुरुंग- उद्योग, वाणिज्य तथा आपूर्ति सहायक मंत्रीरवीन्द्र खनाल- शिक्षा तथा खेलकूद सहायक मंत्रीडा. अशर्फी शाह – स्थानीय विकास सहायक मंत्रीप्रकाश चित्रकार- भूमि सुधार तथा व्यवस्था सहायक मंत्री नेपाल नरेश श्री 5 ज्ञानेन्द्र द्वारा देउबा सरकार को बर्खास्त कर कार्यकारिणी के अधिकार अपने हाथ में लेने के बाद यह पहली बड़ी हिंसक घटना है। नेपाल नरेश स्वच्छ छवि और चुनाव में भाग नहीं लेने वाले राजनीतिक व्यक्तियों की सहभागिता वाली सरकार बनाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने प्रमुख राजनीतिक दलों से अपने नामों की सूची भेजकर उनसे सहयोग करने के लिए भी कहा था। जब राजनीतिक दलों ने निर्धारित समय के भीतर नामों की सूची भेजकर सहयोग नहीं किया तब नेपाल नरेश ने लोकेन्द्र बहादुर चांद के नेतृत्व में 9 सदस्यीय मंत्रिमंडल का गठन 11 अक्तूबर को किया। इसके बाद भी महाराजा ज्ञानेन्द्र ने नेपाली कांग्रेस और एमाले के नेताओं से सम्पर्क बनाए रखा और उनसे मंत्रिमण्डल में शामिल होकर सहयोग करने का आग्रह किया। जब नेपाली कांग्रेस और एमाले ने सरकार में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया तब नेपाल नरेश ने लोकेन्द्र बहादुर चांद के नेतृत्व वाले 9 सदस्यीय मंत्रिमंडल का विस्तार किया। विस्तारित मंत्रिमण्डल के सदस्यों की कुल संख्या 22 है। इस सरकार में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, नेपाल सद्भावना पार्टी, नेपाल हरियाली पार्टी, नेपाल समता पार्टी के प्रतिनिधि शामिल हैं। नेपाली कांग्रेस और एमाले की पृष्ठभूमि के भी कुछ लोग सरकार में हैं। प्रधानमंत्री लोकेन्द्र बहादुर चांद राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता हैं तो उपप्रधानमंत्री बद्री प्रसाद मण्डल नेपाल सद्भावना पार्टी के कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। बद्री प्रसाद मण्डल भारतीय मूल के हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब नेपाल के उपप्रधानमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर भारतीय मूल के किसी व्यक्ति को बैठाया गया है।माओवादी समस्या के कारण नेपाल में तेजी से सरकारें बदलती रही हैं। लेकिन माओवादियों के हिंसात्मक आन्दोलन में कोई कमी नहीं आयी। राजनीतिक दलों के ढुलमुल रवैये के कारण निर्वाचित सरकार की जगह राजा द्वारा गठित सरकार सत्ता में आयी। पूर्व प्रधानमंत्री देउबा ने माओवादी समस्या का समाधान करने के लिए ही देश में आपातकाल लागू किया था। पार्टी के अन्दरूनी झगड़े के कारण जब उनकी कुर्सी डगमगाने लगी तब उन्होंने अपनी कुर्सी बचाने के लिए प्रतिनिधि सभा भंग कर नया जनादेश लेने के लिए आम चुनाव की घोषणा की थी। नेपाली संविधान के अनुसार प्रतिनिधि सभा भंग होने के 6 महीने के भीतर चुनाव हो जाने चाहिए। लेकिन प्रथम चरण का चुनावी कार्यक्रम शुरू होने से एक दिन पहले उन्होंने राजा से सिफारिश की कि चुनाव कराने के लिए उपयुक्त वातावरण न होने के कारण चुनाव की तिथि 13 महीने और आगे बढ़ायी जाए। इसके लिए उन्होंने अन्य प्रमुख राजनीतिक दलों का समर्थन भी प्राप्त कर लिया था। संवैधानिक रास्ता बंद हो जाने के बाद राजा के सामने संविधान की धारा 127 के अनुसार निर्णय लेने की बाध्यता खड़ी हुई और उन्होंने कार्यकारिणी के अधिकार अपने हाथ में लेकर देउबा सरकार को बर्खास्त कर दिया। नेपाल नरेश ने कार्यकारिणी के के अधिकार अपने हाथ में लेने पर भी प्रतिबद्धता व्यक्ति की है कि संसदीय बहुदलीय प्रजातंत्र पर किसी प्रकार की आंच नहीं आने दी जाएगी। लोकेन्द्र बहादुर चांद के नेतृत्व वाली सरकार भी अविलम्ब चुनाव कराने की बात कर रही है। माओवादी समस्या को वार्ता के द्वारा हल करने और माओवादियों को वार्ता की मेज पर लाने के उद्देश्य से चांद सरकार ने माओवाद समर्थक होने के आरोप में गिरफ्तार पत्रकारों को रिहा कर दिया है। इतना होने पर भी नेपाल का राजनीतिक परिदृश्य अस्पष्ट एवं अनिश्चित ही दिखाई दे रहा है। माओवादियों का हिंसात्मक आन्दोलन जारी है, कुछ प्रमुख राजनीतिक दल टकराहट की ओर बढ़ रहे हैं, गांव से लेकर शहरों तक भय, आतंक और अनिश्चितता का वातावरण विद्यमान है। चांद सरकार के गठन से नेपाली कांग्रेस और एमाले प्रसन्न नहीं है। दूसरी ओर राजा के हाथ में कार्यकारिणी के अधिकार जाने के बाद पिछली सरकारों के भ्रष्ट मंत्रियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई करने की प्रक्रिया में जो तेजी आयी है, उससे आम जनता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता नजर आता है। द21

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