दिंनाक: 11 Jul 1999 00:00:00 |
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हमें वीर केशव मिले आप जबसेहमें वीर केशव मिले आप जब सेनई साधना की डगर मिल गई है।।भटकते रहे ध्येय-पथ के बिना हमन सोचा कभी देश क्या धर्म क्या है?न जाना कभी पा मनुज-तन जगत मेंहमारे लिए श्रेष्ठतम कर्म क्या है?दिया ज्ञान जबसे मगर आपने हैनिरन्तर प्रगति की डगर मिल गई है।।1।।समाया हुआ घोर तम सर्वदिक् थासुपथ है किधर कुछ नहीं सूझता थासभी सुप्त थे घोर तम में अकेलाह्मदय आपका हे तपी जूझता था,जलाकर स्वयं को किया मार्ग जममगहमें प्रेरणा की डगर मिल गई।।2।।बहुत थे दु:खी हिन्दु निज देश में हीयुगों से सदा घोर अपमान पायाद्रवित हो गए आप यह दृश्य देखानहीं एक पल को कभी चैन पायाह्मदय की व्यथा संघ बनकर फूट निकलीहमें संगठन की डगर मिल गई है।।3।।करेंगे पुन: हम सुखी मातृ भू कोयही आपने शब्द मुख से कहे थेपुन: हिन्दु का हो सुयश गान जग मेंसंजोये यही स्वप्न पथ पर बढ़े थेजला दीप ज्योतित किया मातृ मन्दिरहमें अर्चना की डगर मिल गई है।।4।।40
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